मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में भी घपलेबाजी शुरू हो गई है। फर्रूखाबाद में पैसे और दान के सामान के लालच में तीन विवाहित जोड़ों के भी फेरे करा दिए गए। जांच में पोल खुलने पर अधिकारियों ने दान का सामान भी वापस मंगा लिया और उनके खातों में भेजी गई अनुदान राशि की रिकवरी कराने की बात कही है। औरैया में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में नव विवाहिताओं को चांदी की जगह गिलट के जेवर थमा दिए गए। कन्नौज के तिर्वा कस्बे में योजना का लक्ष्य पूरा करने को विवाहित जोड़े भी शामिल करने की हकीकत उजागर हो गई है।

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना जिस मकसद के साथ प्रारंभ की गई थी, अधिकारी और कर्मचारी गठजोड़ उसमें पलीता लगाने में जरा भी संकोच नहीं कर रहा। आए दिन इस योजना में धांधली की खबरें आ रही हैं। आश्चर्यजनक बात है कि यह सब तब हो रहा है जब योजना की मॉनीटरिंग उच्च स्तर पर की जा रही है। सरकार द्वारा इस योजना को शुरू करने के पीछे मंतव्य था कि निर्धनों को भी बेटियों के हाथ पीले करने के लिए परेशानियां नहीं उठानी पड़ेंगी और प्रशासन उनकी परेशानी पर तनिक भी बल नहीं पड़ने देगा, लेकिन चिंताजनक बात है कि उम्मीदों के विपरीत यह योजना चलाई जा रही है। भारतीय संस्कृति में कन्या का विवाह महज एक रस्म नहीं बल्कि महती पुण्य कर्म माना गया है। वास्तव में इस पुण्य कर्म के नाम पर उगाही और नकली सामान देकर अपनी जेब भरने वाले तत्व वस्तुत: बड़े अपराधी हैं। यह सराहनीय पहलू है कि उच्च अधिकारियों ने ऐसे मामलों का संज्ञान लेकर रपट दर्ज कराने में जरा भी देर नहीं लगाई। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार की हितकारी योजनाओं में पलीता लगाने वाले लोग चाहे कितने ही छोटे अथवा बड़े पद पर क्यों न बैठे हों, उन्हें कदापि नहीं छोड़ा जाएगा। पूर्ववर्ती सरकारों में जिस प्रकार से सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार पुष्पित-पल्लवित हुआ यद्यपि उसके समूल नाश में वक्त लगेगा, लेकिन उम्मीद है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार के सफाए के लक्ष्य को पाने में अंतत: सफल होगी।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]