कोरोना वायरस से फैली महामारी कोविड-19 हर दिन गंभीर रूप लेती जा रही है। केंद्र और राज्य सरकारें इस महामारी से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं, इसका प्रमाण केवल यही नहीं है कि वे लगातार आवश्यक आदेश-निर्देश जारी कर रही हैं, बल्कि यह भी है कि उन पर अमल के लिए तत्परता भी दिखा रही हैं। इसके बावजूद यदि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है तो इसका मतलब यही है कि संकट बड़ा है। यह तय है कि इस संकट से पार पाने के लिए आगे और भी कदम उठाने पड़ सकते हैं। ऐसे कठिन समय यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि सरकारों और साथ ही स्थानीय प्रशासन की ओर से जो भी सुझाव दिए जा रहे हैं उनका पालन पूरी गंभीरता के साथ किया जाए।

चूंकि संकट बड़ा है इसलिए आम जनता को यह समझना ही होगा कि किसी भी तरह की लापरवाही के लिए कहीं कोई गुंजाइश नहीं है। यह सही समय है कि हर कोई अपनी जिम्मेदारी समझे और खुद जागरूक होने के साथ ही औरों को भी जागरूक करें। साफ-सफाई और सेहत को लेकर अतिरिक्त सतर्कता दिखाने के साथ ही संयम एवं अनुशासन का भी परिचय देने की आवश्यकता है।

चूंकि हम एक बड़ी और साथ ही सघन आबादी वाले देश हैं इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इस जिम्मेदारी का परिचय इसलिए देना होगा, क्योंकि कितना भी सक्षम स्वास्थ्य तंत्र हो वह महामारी का सामना करते समय समस्याओं से घिरता ही है। जब स्वास्थ्य तंत्र को समर्थ बनाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हों तब नागरिक के तौर पर हम सबको अपनी जिम्मेदारी का परिचय देने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि किसी से कहीं कोई गफलत न होने पाए, क्योंकि कोरोना संक्रमित एक अकेले शख्स की लापरवाही सैकड़ों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल सकती है। यह राष्ट्रीय संकल्प बनना चाहिए कि ऐसा नहीं होने देना है और देश को उस तीसरे दौर में नहीं जाने देना है जहां संक्रमण बेलगाम सा हो जाता है।

यदि संक्रमण का सिलसिला बेकाबू हुआ तो संकट कहीं अधिक गंभीर हो सकता है और तब लोगों को और अधिक पाबंदियों के साथ मुश्किलों का सामना करना होगा। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण का सामना शासन-प्रशासन से सहयोग करके ही किया जा सकता है। संकट की इस घड़ी में हर किसी को इसके लिए भी सक्रिय होना चाहिए कि हम सबका सामाजिक व्यवहार बदले। यदि सभी सतर्क रहें और साथ ही हौसला बनाए रखें तो इस संकट से पार पाया जा सकता है।