महामारी का रूप धारण कर चुके कोरोना वायरस के संक्रमण ने देश-दुनिया में जैसी भयावह परिस्थितियां पैदा कर दी हैं उनसे बचने के लिए हर किसी को बिना समय गंवाए चेत जाना चाहिए। इस महामारी से तभी लड़ा और बचा जा सकता है जब हर कोई उसमें अपना सहयोग दे और ऐसा करते समय बेहद सतर्क रहे-कुछ वैसे ही जैसे युद्ध के समय हमारे सैनिक रहते हैं। न डरना है और न डराना है, लेकिन सतर्कता में कोई कमी भी नहीं आने देनी है। थोड़ी सी भी लापरवाही कैसे घातक नतीजे दे सकती है, इसका उदाहरण इटली है। वहां हालात बेकाबू से हुए जा रहे हैं।

भारत को बेकाबू हालात वाले दौर से बचना ही होगा और ऐसा तब होगा जब सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने के लिए हर किसी की ओर से हर संभव कोशिश की जाएगी। इसी कोशिश को बल देने के लिए ही जनता कर्फ्यू की पहल की गई है। इसमें हर भारतीय को योगदान देना अपना नैतिक धर्म समझना होगा, क्योंकि इसके अलावा और कोई उपाय भी नहीं। चूंकि यह जिंदगी बचाने की जंग है इसलिए देश को इसके लिए भी तैयार रहना चाहिए कि जनता कर्फ्यू को आगे भी बढ़ाना पड़ सकता है।  

कोरोना वायरस से उपजी कोविड-19 नामक महामारी ने किसी एक समुदाय और देश ही नहीं, एक तरह से पूरी मानव जाति को एक ऐसे बड़े खतरे के सामने ला खड़ा किया है जिससे बचने में यदि कुछ कारगर हो सकता है तो यही कि हर कोई औरों से अलग-थलग रहना सीखे और इस दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने को लेकर अतिरिक्त सतर्क भी रहे। इसके लिए संयम और अनुशासन का पाठ हर क्षण-हर दिन पढ़ना होगा। हमें केवल अपनी और अपनों की ही परवाह नहीं करनी है, बल्कि इस पर भी निगाह रखनी है कि दूसरे लोग सावधानी बरतने से इन्कार तो नहीं कर रहे हैं?

शासन-प्रशासन के साथ आम लोगों को भी उन्हें लेकर सावधान रहना चाहिए जो हाल में विदेश से लौटे हैं। हर किसी को इसकी चिंता करनी चाहिए कि ऐसे लोग स्वास्थ्य परीक्षण की आवश्यक प्रक्रिया का पालन करें। किसी को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि यह बीमारी उसे नहीं होगी। आखिर यह एक तथ्य है कि चंद दिनों के अंदर अपने देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या तीन सौ के आंकड़े को पार कर गई और जो लोग निगरानी में हैं उनकी भी संख्या बढ़ती जा रही है। नि:संदेह परिस्थितियां विकट हैं, लेकिन हौसला बनाए रखना है और इस संकल्प से लैस भी रहना है कि हम सबके सहयोग से जिंदगी बचाने की यह जंग जीत कर रहेंगे।