कोरोना वायरस किस तरह मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी संकट बन गया है, इसका ही प्रमाण है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बैठक। इस बैठक के बाद वित्त मंत्री ने यह स्वीकार किया कि कोरोना वायरस के चलते आयात एवं निर्यात प्रभावित हुआ है। माना जा रहा है कि ऑटो, टेलीकॉम, टेक्सटाइल, फॉर्मा आदि कहीं अधिक प्रभावित होने वाले सेक्टर हैं। वास्तव में वे सभी उद्योग कठिनाई का सामना करेंगे जो कच्चे माल अथवा उपकरणों के लिए चीन पर निर्भर हैं या फिर जो अपने उत्पाद चीन भेजते हैं। इस मामले में जो स्थिति भारत की है वही दुनिया के अन्य अनेक देशों की भी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं कि भारत सरकार कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए क्या कदम उठाने जा रही है?

आवश्यकता केवल इसकी ही नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस के असर से बचाने के लिए समुचित कदम उठाए जाएं, बल्कि यह जरूरी सबक सीखने की भी है कि उद्योग-व्यापार के मामले में किसी एक देश पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता ठीक नहीं। यदि भारत ने आयात-निर्यात के मामले में चीनी बाजार का कोई विकल्प तलाश रखा होता तो संभवत: आज संकट कहीं अधिक कम होता। कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि भारतीय उद्योग जगत अपनी जरूरतों के लिए किसी एक देश पर आश्रित न रहे।

यदि चीन जल्द ही कोरोना वायरस के असर से उबरता नहीं तो खुद उसकी अर्थव्यवस्था तो और गोता लगाएगी ही, विश्व अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। एक ऐसे समय जब विश्व अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्ती का शिकार है तब चीन में फैला कोरोना वायरस किसी मुसीबत से कम नहीं। यह समय की मांग है कि विश्व समुदाय चीन के समक्ष यह स्पष्ट करे कि इस मुसीबत की जड़ में उसकी लापरवाही और उसके तानाशाही भरे तौर-तरीके ही जिम्मेदार हैं। यदि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर अपने लोगों और साथ ही विश्व समुदाय को समय पर सही सूचना दी होती तो शायद हालात कुछ और होते।

जब चीन का संकट पूरी दुनिया के लिए संकट बन गया है तब कम से कम उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को तो चीनी प्रशासन से जवाबदेही लेनी ही चाहिए जो वहां पर काम कर रही हैं। यह ठीक नहीं कि इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने आर्थिक हितों के लोभ में चीनी शासन के तानाशाही भरे व्यवहार की परवाह नहीं की। बेहतर होगा कि चीनी शासन भी यह समझे कि वह लोकतांत्रिक परिपाटी की अनदेखी कर न तो अपना हित कर सकता है और न ही अन्य किसी का।