चारा घोटाले में लालू प्रसाद को रांची सीबीआइ कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद उनके परिवारजन, खासकर कैबिनेट मंत्री रह चुके उनके बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव जिस तरह कोर्ट के फैसले को राजनीतिक और जातिवादी रंग दे रहे हैं, वह न्यायालय की अवमानना जैसा है। लालू यादव के परिवारजन चारा घोटाले के ही एक अन्य आरोपी एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा.जगन्नाथ मिश्र को दोषमुक्त कर दिए जाने को आधार बनाकर सीबीआइ कोर्ट के फैसले पर अंगुलियां उठा रहे हैं। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि न्यायालय की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा प्रेषित लीगल नोटिस पर भी तेज प्रताप की प्रतिक्रिया न्याय प्रणाली के प्रति सम्मानजनक नहीं थी। राजनीतिक दृष्टि से प्रभावशाली लालू परिवार की यह आक्रामकता चिंताजनक एवं खतरनाक है। महागठबंधन सरकार में अहम पदों पर रह चुके तेज प्रताप और तेजस्वी यादव द्वारा ऐसी प्रतिक्रिया समाज में गलत संदेश दे रही है। न्यायालय के फैसले पर असहमति जताने के लिए हायर कोर्ट मौजूद हैं। इसके बजाय सार्वजनिक रूप से कोर्ट के फैसले को राजनीतिक एवं जातिवादी रंग देना गलत परंपरा की शुरुआत है। यदि लालू परिवार को यह उम्मीद थी कि चारा घोटाले में वह दोषमुक्त करार दिए जाएंगे तो रांची सीबीआइ कोर्ट के फैसले पर उन्हें झटका लगना स्वाभाविक है। इसके बावजूद लालू परिवार को धैर्य दिखाते हुए हायर कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहिए। धैर्य इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगले कुछ महीनों में चारा घोटाले के चार अन्य मुकदमों में फैसले आने हैं। लालू प्रसाद इन सभी मुकदमों में अभियुक्त हैं। लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद उनका परिवार राजनीतिक संकट का भी सामना कर रहा है। वर्ष 2019 में लोकसभा और 2020 में विधानसभा चुनाव होंगे। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि लालू प्रसाद के जेल में रहते हुए उनके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल को एकजुट रखना उनके दोनों पुत्रों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह दबाव स्वाभाविक रूप से तेज प्रताप और तेजस्वी यादव पर भी होगा लेकिन इससे उबरने के लिए न्यायालय के फैसले पर अनुचित टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। बेहतर होगा कि तेज प्रताप कोर्ट की अवमानना संबंधी लीगल नोटिस पर अपना पक्ष मजबूती किन्तु विनम्रतापूर्वक रखें।
....................................
लालू परिवार द्वारा रांची सीबीआइ कोर्ट के फैसले को राजनीतिक एवं जातिवादी रंग देने का प्रयास करना गलत परंपरा की शुरुआत है। इस परिवार के सदस्यों को अविलंब सामने आकर न्यायालय के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]