घटनाओं-दुर्घटनाओं की तमाम खबरों के बीच यह खबर उल्लेखनीय है कि करीब दो माह पहले वाराणसी में फ्लाईओवर हादसे के सिलसिले में सात इंजीनियरों समेत एक ठेकेदार को भी गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि आम तौर पर इस तरह के मामलों में सरकारी कर्मियों के खिलाफ मुश्किल से ही कोई कार्रवाई होती है और अगर होती भी है तो इतनी देर में या फिर इतनी मामूली कि वह निष्प्रभावी ही सिद्ध होती है।

वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर की बीम गिरने से हुए हादसे के लिए जिन्हें जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तार किया गया उनमें सेतु निगम के पूर्व और निवर्तमान मुख्य परियोजना प्रबंधक भी शामिल हैैं। इससे यही रेखांकित होता है कि 15 लोगों की जान लेने वाले इस हादसे में शीर्ष स्तर के अधिकारियों को जवाबदेह बनाया गया है।

माना जा रहा है कि कुछ और लोगों पर भी पुलिस का शिकंजा कस सकता है, लेकिन बात तब बनेगी जब हादसे के लिए जिम्मेदार माने गए लोगों को सजा दिलाने में भी कामयाबी मिले। कोशिश यह होनी चाहिए कि यह कामयाबी जल्द हासिल हो, क्योंकि तभी इसका असर होगा। उत्तर प्रदेश पुलिस की यह कार्रवाई अन्य राज्यों के लिए एक नजीर भी बननी चाहिए।

प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में हुए इस हादसे की जांच में यह सामने आया था कि गर्डर की लॉकिंग के लिए क्रॉस बीम न ढाले जाने के कारण दो बीम राह चलते लोगों पर गिरीं। इस मामले में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में भी यह कहा गया था कि फ्लाईओवर निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई।

अपने देश में मानकों की अनदेखी करके होने वाला निर्माण एक राष्ट्रीय रोग बन गया है। फ्लाईओवर के साथ-साथ सड़कों, पुलों आदि के निर्माण में मानकों की जमकर अनदेखी भी होती है और उसके कारण हादसे भी। जो नहीं होता वह यह कि संबंधित सरकारी अधिकारियों से कोई जवाबदेही नहीं ली जाती। बहुत होता है तो उनका तबादला कर दिया जाता है या फिर संबंधित ठेकेदार को काली सूची में डाल दिया जाता है। नि:संदेह यह कोई दंड नहीं हुआ। इसका कोई मतलब नहीं कि मानकों की अनदेखी वाले निर्माण से हुए हादसों में लोगों की जान चली जाए और फिर भी किसी को दंड का भागीदार न बनाया जाए।

पता नहीं अपने देश में यह कैसे एक चलन सा बन गया है कि निजी क्षेत्र के किसी उद्यम-कारखाने या अन्य स्थल में कोई हादसा हो तो जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है, लेकिन जब सरकारी स्थलों में ऐसा होता है तो मुश्किल से ही कोई जवाबदेह बनता है। कई बार जवाबदेही तय करने के नाम पर या तो लीपापोती होती है या फिर दिखावे की कार्रवाई। ऐसी जवाबदेही का कोई मतलब नहीं जिसमें किसी को दंड का भागीदार न बनाया जाए।

नि:संदेह जब-तब मानवीय भूल भी हादसों का कारण बनती है, लेकिन आम तौर पर एक बड़ा कारण घटिया निर्माण कार्य ही होता है और ऐसे निर्माण कार्य के पीछे बड़ी भूमिका होती है कमीशनखोरी की। दरअसल इसी के चलते न जाने कितनी नई बनी सड़कें पहली बरसात में ही बह जाती हैैं।