राज्यसभा के बाद लोकसभा से जम्मू-कश्मीर के नए सिरे से गठन संबंधी विधेयक को पारित होना ही था। अपेक्षा के अनुरूप ऐतिहासिक महत्व वाले इस विधेयक के साथ ही अनुच्छेद 370 को करीब-करीब समाप्त करने वाला प्रस्ताव भी बड़े बहुमत से पारित हुआ, लेकिन यह अपेक्षित नहीं था कि विपक्ष और खासकर कांग्रेस और अधिक भ्रमित दिखाई देगी। ऐसा लगता है उसने उस घटनाक्रम से कोई सबक सीखने की जरूरत नहीं समझी जो संसद के भीतर और बाहर देखने को मिला। यह सही है कि इन दिनों कांग्रेस नेतृत्व के सवाल को लेकर उलझी हुई है, लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं हो सकता कि वह राष्ट्रीय महत्व के प्रश्न पर अपने दृष्टिकोण को सही तरह से व्यक्त न कर पाए।

दुर्भाग्य से उसके नेताओं ने लोकसभा में भी ठीक यही किया। आम तौर पर ऐसा तभी होता है जब जमीनी हकीकत की अनदेखी कर दी जाती है। यह अच्छा नहीं हुआ कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह सवाल पूछ डाला कि आखिर कश्मीर हमारा आंतरिक मसला है या नहीं? यह सवाल उछालते हुए उन्होंने शिमला और लाहौर समझौते का भी जिक्र किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के नाते उन्हें इतना तो पता होना ही चाहिए कि देश में कोई भी सरकार रही हो उसने कश्मीर को भारत का अटूट अंग बताया है और शिमला समझौते का उल्लेख पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय भू-भाग को हासिल करने के संदर्भ में किया है।

कांग्रेस के लिए गंभीर चिंता की बात केवल यही नहीं कि संसद में उसके नेता अपनी सोच-समझ को सही तरीके से नहीं प्रकट कर सके, बल्कि यह भी है कि एक के बाद एक कांग्रेसी नेता पार्टी लाइन के खिलाफ बयान देना जरूरी समझ रहे हैैं। कांग्रेस को सोचना होगा कि आखिर र्मिंलद देवड़ा, जनार्दन द्विवेदी के साथ कुछ अन्य नेताओं ने अनुच्छेद 370 को बेअसर करने के फैसले को सही क्यों करार दिया? अब इन नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हो गए हैैं। उनकी ओर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के पक्ष में दिया गया बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राहुल गांधी के उस कथन के बाद आया जिसमें उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश लोगों से बनता है, जमीन के टुकड़ों से नहीं।

साफ है कांग्रेस इसे लेकर गहरे असमंजस में है कि अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर उसका मत क्या होना चाहिए और उसे कैसे व्यक्त करना चाहिए? उसे न केवल यह पता होना चाहिए कि यह असमंजस उस पर बहुत भारी पड़ने वाला है, बल्कि यह भी कि अनुच्छेद 370 हटाकर एक ऐतिहासिक गलती ठीक की गई है।

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