नशा खत्म करने के लिए हर वह कदम उठाए जाने चाहिए जो जरूरी हों। सरकार यदि दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाए तो कोई कारण नहीं कि प्रदेश से नशा खत्म न किया जा सके।
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पंजाब सरकार नशा छुड़ाओ और पुनर्वास केंद्रों को लेकर गंभीर दिख रही है। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि प्रदेश में नशा बहुत बड़ी समस्या है। सरकार की ओर से नशा पीडि़तों का आधुनिक तकनीक से इलाज करवाने का प्रयास सराहनीय है। पूर्व सरकार ने भी नशे के खात्मे के लिए काफी प्रयास किए थे। सरकार ने नशे के खिलाफ अभियान चलाने से लेकर नशा छुड़ाओ केंद्रों पर भी फोकस किया था। प्रदेश में कई नशा छुड़ाओ केंद्रों की हालत खस्ता है। ऐसे में यह उम्मीद करना बेमानी ही होगी कि वहां पर नशा पीडि़त का बेहतर तरीके से इलाज हो सकता है। जब तक नशा छुड़ाओ केंद्रों की हालत को सुधारा नहीं जाता तब तक वहां उचित तरीके से इलाज हो ही नहीं सकता है। प्रदेश में कांग्र्रेस सरकार आने के बाद नशा तस्करों पर नकेल कसने के लिए एसटीएफ का गठन किया गया। इसके बाद कई नशा तस्करों पर शिकंजा कसा गया जिसमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि प्रदेश में नशे पर अंकुश पा लिया गया है, लेकिन कुछ सकारात्मक असर दिखने को मिले हैं। अब नशा पीडि़तों के इलाज के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की बात एक नया कदम है। सेहत मंत्री की मानें तो प्रदेश में पचास मेडिकल अधिकारियों को इसके लिए तीन माह की ट्रेनिंग दी जा रही है। अमृतसर, तरनतारन, मोगा व फिरोजपुर में तो यह ट्रेनिंग पूरी भी हो गई है। जाहिर सी बात है कि मौजूदा समय में पुरानी तकनीकों से नशेडिय़ों का इलाज कारगर नहीं हो सकता है। यह अच्छी बात है कि सरकार ने भी इस बात को समझा है। सरकार को इसके अलावा कई और प्रयास करने होंगे। नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना होगा। कहा जाता है कि जागरूकता ही बचाव है। यह अभियान कैसे ज्यादा से ज्यादा प्रभावी हो इसके बारे में सरकार को विचार करना होगा क्योंकि कई बार ये खानापूर्ति मात्र साबित होते हैं। स्वयंसेवी संगठनों व नशे के खिलाफ बेहतर काम करने वाली संस्थाओं को जोडऩे के साथ ही उन तमाम माध्यमों के बारे में विचार किया जाना चाहिए जिससे लोगों को जागरूक किया जा सकता है। इसकी नियमित तौर पर निगरानी भी होनी चाहिए। नशे को खत्म करने के लिए हर वह कदम उठाए जाने चाहिए जो जरूरी हों।
सरकार यदि दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाए तो कोई कारण नहीं कि प्रदेश से नशा खत्म न किया जा सके।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]