प्रदेश सरकार ने कचरा निस्तारण के लिए व्यापक योजना बनाई है। 81 शहरों में हजारों टन कचरे से खाद व बिजली बनाने की योजना को हरी झंडी प्रदान कर दी है। हरियाणा के शहरों की स्वच्छता की राह में सबसे बड़ी बाधा कचरा निस्तारण की ठोस योजना का अभाव भी था। सालों से जागरूकता अभियान तो चल रहे हैं पर कचरा निस्तारण की योजनाएं फाइलों में ही दफन थी। शहर का कचरा उठाकर बाहरी क्षेत्र में डंप कर दिया जाता था। नतीजा यह हुआ कि इन गांवों में कूड़े के ढेर लग गए और यह कचरा प्रदूषण तो बढ़ा ही रहा था बीमारियों का कारण भी बन रहा था। ऐसे में स्वच्छता की मुहिम भी सवालों के घेरे में आ गई थी। यह प्रोजेक्ट 2020 तक पूरे होने की उम्मीद है। इसके लिए बाकायदा 15 कलस्टर बनाए गए हैं। इनमें 11 में खाद व चार में बिजली बनाने के प्रोजेक्ट लगेंगे।

स्वच्छता की मुहिम को गति देने के लिए आवश्यक है कि कचरे का सही ढंग से निस्तारण कर लिया जाए। इसके साथ आवश्यक है कि कचरा संग्रहण की प्रक्रिया में भी व्यापक सुधार किया जाए। ठोस व गीला कचरा संग्रहण की को अलग-अलग व्यवस्था करनी होगी। अभी तक न आमजन इसके प्रति जागरूक हैं और न ही प्रशासनिक स्तर पर व्यापक तैयारी की गई है। घरेलू अवशेष से खाद बनाने की छोटी योजनाओं को भी आगे बढ़ाना होगा ताकि जगह-जगह कचरे के ढेर न लगें। इसके तहत आमजन को जागरूक करना होगा। पिछले पखवाड़े से प्रदेश में सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। बावजूद इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है।

अधिकतर स्थानों पर अफसरों ने रस्म अदायगी से अधिक कुछ नहीं किया है। ऐसे में यह अभियान केवल कागजी खानापूर्ति बनकर रह गया। यह सही है कि स्वच्छता के प्रति आमजन काफी सचेत है लेकिन आधारभूत सुविधाएं मुहैया करवाने की जिम्मेवारी सरकार की है। कुछ बड़े शहरों में घर-घर कचरा संग्रहण की व्यवस्था की गई है।


[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]