सरकार की सोच अबतक सिर्फ वृहद पैमाने पर शौचालयों का निर्माण कराकर राज्य को स्वच्छता के राष्ट्रीय बेंचमार्क पर स्थापित करने की है।
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झारखंड सरकार ने राज्य के शहरी निकायों को दो अक्टूबर तक खुले में शौच से मुक्त कर लेने का दावा किया है। सरकार अगर वास्तव में निर्धारित अवधि में स्वच्छ भारत मिशन के मानकों पर राज्य को खरा उतारने में सफल होती है तो इसकी सराहना की जानी चाहिए। इससे इतर सरकार की सोच में स्वच्छता के नाम पर सिर्फ खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) राज्य की परिकल्पना नहीं होनी चाहिए। स्वच्छता को व्यापक फलक पर देखे जाने की जरूरत है। कागज का एक टुकड़ा भी राज्य की सड़कों और गलियों में न दिखे, नालियां बजबजाती न रहे, सीवरेज का पुख्ता प्रबंध हो, लोगों को कचरे की दुर्गंध का सामना न करना पड़े, तब जाकर स्वच्छ झारखंड का सपना साकार होगा। इसके विपरीत सरकार की सोच अबतक सिर्फ वृहद पैमाने पर शौचालयों का निर्माण कराकर राज्य को स्वच्छता के राष्ट्रीय बेंचमार्क पर स्थापित करने की है। बहरहाल सरकार का दावा राज्य के 40 स्थानीय शहरी निकायों में से 35 को ओडीएफ कर लिए जाने का है। शेष पांच निकायों रांची, धनबाद, बासुकीनाथ, सिमडेगा और रामगढ़ को अगले नौ दिनों में ओडीएफ कर लिए जाने की सरकारी तैयारी है। हालांकि शहरी स्वच्छता के दारोमदार नगर विकास मंत्री सीपी सिंह स्वयं इन सरकारी दावों से इत्तेफाक नहीं रखते। चार जनवरी से शुरू हो रहे स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 को लेकर आयोजित कार्यशाला में स्वच्छता को लेकर उनकी चिंता स्पष्ट थी। उन्होंने दो टूक कहा कि उनके मोबाइल पर आज भी दर्जनों ऐसे फोन आते हैं, जो स्वच्छता अभियान की पोल खोलती है। राज्य में आज भी बमुश्किल पांच फीसद ही मेडिकल वेस्ट का निपटारा हो पा रहा है। आज भी शत प्रतिशत घरों से कचरे का उठाव नहीं हो रहा है। 60 फीसद नालियां आज भी खुली हैं। शहरों में डंपिंग यार्ड की घोर कमी है। ऐसे कई कारण हैं जो झारखंड में स्वच्छ भारत मिशन के मूल उद्देश्यों तक पहुंचने में बाधक हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में भी पिछले साल के स्वच्छता सर्वेक्षण में राज्य के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में गुजरात और मध्य प्रदेश के बाद झारखंड का स्थान आना एक उम्मीद जगाता है। इसी कड़ी में जमशेदपुर और चास को सबसे स्वच्छ शहर का तमगा मिलना भी राज्य को गौरवान्वित करता है। शहरों को स्वच्छ बनाने का यह कारवां बढ़ता रहे, इसके लिए जरूरी है कि सरकार के साथ-साथ सभी तरह के संगठन और आम जनता स्वच्छता के दृढ़ संकल्प के साथ एक मंच पर आएं।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]