हरियाणा सरकार द्वारा पदक विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार वितरण समारोह अहं के टकराव में फंसकर टल गया। खिलाड़ी व सरकार के बीच सीधे संवाद के प्रयासों के बावजूद विवाद का हल नहीं निकल पाया। वजह रही प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा दूसरी एजेंसी के तहत खेलने की नीति। राष्ट्रमंडल खेलों के प्रदेश के 22 पदक विजेता खिलाड़ियों में से 13 ऐसे हैं जो हरियाणा की बजाय रेलवे या दूसरी एजेंसी से खेलते हैं। राज्य सरकार ऐसे खिलाड़ियों को एजेंसी से मिली राशि काटकर देने की नीति बना चुकी है। इसका विरोध यह खेल सितारे कर रहे हैं। कुछ खिलाड़ियों ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री को भी शिकायत दे दी।

इस तरह मामला अहं की लड़ाई में फंसता गया और संवाद टूटने के बाद सरकार के पास सम्मान समारोह टालने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं रह गया था। विवाद का बड़ा कारण है पूर्ववर्ती सरकारों में चहेते खिलाड़ियों को बिना किसी नीति के पुरस्कार और पद बांटने की नीति। श्रेय लेने की होड़ में नीतियों को बार-बार ताक पर रखा गया। कई खिलाड़ी कम उपलब्धियों पर भी बेहतर पद पा गए और योग्य खिलाड़ी बरसों कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। कई खिलाड़ी ऐसे रहे कि कभी हरियाणा के लिए खेले ही नहीं और लाखों-करोड़ों के पुरस्कार पा गए। अब सरकार ने तय नीति के अनुरूप ही पुरस्कार व पद देने का एलान किया है। खिलाड़ियों को अपनी शिकायत सरकार के सामने खुलकर रखनी चाहिए। वहीं सरकार को भी सुनिश्चित करना होगा कि जिद में कुछ ऐसा कदम न उठा ले कि देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों का मान भंग हो जाए। तभी सही मायने में सम्मान हो पाएगा।
[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]