मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह घोषणा गांवों के विकास के लिए उम्मीद की किरण जैसी है कि राज्य के गांवों को इस हद तक विकसित किया जाएगा ताकि लोग गांव छोड़कर जाने की इच्छा ही न करें। मुख्यमंत्री का संकेत गांवों में विकास का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की ओर है जिसके लिए पहले ही हर घर नल का जल, पक्की गली-नाली और शौचालय निर्माण जैसी योजनाओं पर काम चालू है। बहरहाल, गांवों से पलायन की समस्या को इन विकास लक्ष्यों से इतर कहीं ज्यादा व्यापक नजरिए से देखना होगा। इसमें दो राय नहीं कि जीवन यापन की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होने पर गांवों से पलायन की रफ्तार कम होगी यद्यपि इस समस्या की एक बड़ी वजह शहरों की बेहतर शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में शिक्षा और सेहत को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जागरूकता बढ़ी है। मध्य और निम्न मध्य आय वर्ग के लोग भी अपने बच्चों को अच्छी और उच्च शिक्षा दिलाने की हसरत रखते हैं जो गांवों में संभव नहीं। यही वजह है कि लोग बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए गांव का घर-द्वार और खेती-बारी छोड़कर शहरों में बस रहे हैं। जाहिर है कि गांवों की महत्ता बढ़ाने के लिए वहां की शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करना पड़ेगा। गांवों में प्रायमरी शिक्षा का यह आलम है कि प्राथमिक विद्यालय सिर्फ मिडडे मील के केंद्र बनकर रह गए हैं। नियोजित शिक्षकों के बारे में सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में गांवों की प्रायमरी शिक्षा बिल्कुल भरोसेमंद नहीं है लिहाजा जागरूक अभिभावक अपने बच्चों को शहरों में पढ़ाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा का भी यही हाल है जबकि उच्च शिक्षा व्यवस्था तो ग्रामीण क्षेत्रों में है ही नहीं। इन हालात में शिक्षा के प्रति संवेदनशील ग्रामीण बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। पक्की नालियों-गलियों, स्वच्छ पेयजल और परिवहन सुविधाओं के विकास से ग्रामीणों के जीवन स्तर में बेशक सुधार आएगा, पर इससे शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र की बदहाली खत्म नहीं होगी। ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह झोलाछाप डॉक्टरों के हाथ में है जो न सिर्फ ग्रामीणों का आर्थिक शोषण करते हैं बल्कि अक्सर उनकी जिंदगी खतरे में डाल देते हैं।
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गांवों को शहरों जैसा बनाने के लिए वहां की शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था भी शहरों के तर्ज पर विकसित की जानी चाहिए। ग्रामीणों में शिक्षा और सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ी है लिहाजा इन सुविधाओं के लिए वे शहर का रुख करते हैं।

[  स्थानीय संपादकीय: बिहार ]