संसद के शीतकालीन सत्र के पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक के जरिये इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि इस दौरान दोनों सदनों का माहौल कैसा रहने वाला है? इस तरह की बैठकें औपचारिक ही अधिक होती हैं और यह कहना कठिन है कि वे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कोई समझबूझ विकसित करने में सहायक बनती हैं।

सरकार ने संकेत दिया है कि वह संसद के आगामी सत्र में करीब दो दर्जन विधेयकों को पेश और पारित करने का इरादा रखती है। इसी के साथ विपक्ष ने भी उन मुद्दों को रेखांकित किया है जिन्हें उसकी ओर उठाया जा सकता है। सभी जरूरी मसलों पर संसद में चर्चा की मांग करना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार के नाम पर संसद को अखाड़ा बनाने से बचा जाना चाहिए।

जब विपक्ष हंगामा करने पर अड़ जाता है तब फिर यह दलील भोथरी ही साबित होती है कि संसद चलाना सत्तापक्ष की जिम्मेदारी है। संसद के आगामी सत्र में जिन विधेयकों को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में ठन सकती है उनमें नागरिकता संबंधी संशोधन विधेयक प्रमुख है। इस विधेयक को लेकर पक्ष और विपक्ष के मतभेद किसी से छिपे नहीं, लेकिन जरूरत इसकी है कि दोनों पक्ष इस विधेयक को लेकर सहमति कायम करें।

नागरिकता संशोधन विधेयक, 1955 के नागरिकता अधिनियम के कुछ प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है। सरकार ऐसे प्रावधान चाहती है जिससे बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देशों से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई के लिए भारत की नागरिकता हासिल करना आसान हो जाए। विपक्षी दलों को इस पर आपत्ति है।

स्वाभाविक रूप से उनकी आपत्ति पड़ोसी देशों के मुस्लिम को बाहर रखने पर है। पहली नजर में यह आपत्ति सही जान पड़ती है, लेकिन क्या इस सच की अनदेखी की जा सकती है कि इन देशों में जो प्रताड़ित हो रहे हैं वे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी आदि ही हैं?

इस तथ्य की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ ने किस तरह असम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की सामाजिक संरचना को बदल दिया है। कुछ स्थानों पर तो बाहर से आए लोगों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि स्थानीय संस्कृति ही खतरे में पड़ गई है।

चूंकि नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध असम में भी हो रहा है इसलिए सरकार को विपक्ष के साथ वहां के लोगों को भी भरोसे में लेना होगा। विपक्षी दल इस विधेयक को लेकर कुछ भी कहें, उन्हें यह तो समझना ही होगा कि हर देश को यह तय करने का अधिकार है कि कौन लोग उसके नागरिक बन सकते हैं और कौन नहीं?