अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले के बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से भारत लाया जाना मोदी सरकार की एक बड़ी कामयाबी है। क्रिश्चियन मिशेल का भारत के हाथ लगना इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि एक तो वह हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले के मुख्य आरोपी हैैं और दूसरे ब्रिटिश नागरिक भी। यह ध्यान रहे कि ब्रिटेन न केवल अपने यहां रह रहे संदिग्ध तत्वों का प्रत्यर्पण कठिनाई से करता है, बल्कि दुनिया में कहीं से भी अपने लोगों को अन्य देशों को सौंपने में मुश्किलें खड़ी करता है। शायद यही कारण है कि क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से दिल्ली ले आने को मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता के तौर पर भी रेखांकित किया जा रहा है। यह एक ऐसी कूटनीतिक सफलता है जिसका राजनीतिक असर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में नौकरशाहों के साथ नेताओं की भी मिलीभगत का संदेह है।

चूंकि हेलीकॉप्टर सौदा संप्रग शासन के कार्यकाल में हुआ था इसलिए कांग्रेस के नेताओं का चिंतित होना स्वाभाविक है। हालांकि रिश्वतखोरी के आरोप उछलने के बाद उक्त सौदे को रद कर दिया गया था, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि इस मामले में वायुसेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी को गिरफ्तार किया गया था और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के नाम उछल चुके हैैं।

फिलहाल यह कहना कठिन है कि क्रिश्चियन मिशेल से इस घोटाले के कैसे राज सामने आते हैैं और उनके जरिये किसी को दंड का भागीदार बनाया जा सकता है या नहीं, लेकिन जांच एजेंसियों के लिए बेहतर यही होगा कि वे मामले की तह तक पहुंचकर दूध का दूध और पानी का पानी करने में कोई कसर न उठा रखें। यह काम यथाशीघ्र होना चाहिए, क्योंकि अपने देश में बड़े घपले-घोटाले की जांच में जरूरत से ज्यादा समय लगता है। घोटालों को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तो खूब होता है, लेकिन सच सामने नहीं आता।

क्रिश्चियन मिशेल के दिल्ली लाए जाने की खबर आते ही देश छोड़कर ब्रिटेन भाग गए कारोबारी विजय माल्या ने जिस तरह यह पेशकश कर दी कि वह बैैंकों का मूलधन चुकाने को तैयार हैैं उससे यही लगता है कि वह मिशेल के हश्र से घबरा गए हैैं। वैसे भी इसके आसार दिख रहे हैैं कि देर-सबेर उन्हें ब्रिटेन से प्रत्यर्पित किया जा सकता है, क्योंकि वहां की अदालतों में उनका पक्ष लगातार कमजोर पड़ता जा रहा है। एक ऐसे समय जब विपक्षी दल रह-रहकर विजय माल्या को देश से जानबूझकर भगाने का आरोप उछालते रहते हैैं तब उनकी याचना भरी पेशकश मोदी सरकार को बड़ी राहत देने वाली है।

विजय माल्या की विनम्र पेशकश यही बता रही है कि उनके कस-बल ढीले पड़ गए हैैं। पता नहीं विजय माल्या ईमानदारी से पेशकश कर रहे हैैं या फिर उसकी आड़ में प्रत्यर्पण से बचने की पेशबंदी, लेकिन उन्हें इसका अहसास होना चाहिए कि देश से भागकर उन्होंने अपनी मुसीबत खुद बढ़ाई। अगर उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है तो फिर उचित यही होगा कि वह बिना किसी देरी के स्वदेश लौट आएं। उन्हें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि सोशल मीडिया के जरिये की गई उनकी पेशकश पर सरकार पसीज जाए।