राज्य में विधानसभा की एक सीट के उप चुनाव का कार्यक्रम तय हो गया है। भाजपा विधायक मगनलाल शाह के निधन से रिक्त हुई चमोली जिले की थराली विधानसभा सीट के लिए 28 मई को मतदान होगा। गत वर्ष संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका होगा, जब सूबे में व्यापक जनाधार रखने वाली सियासी पार्टियां, भाजपा व कांग्रेस चुनाव मैदान में आमने-सामने होंगी। पहले समझा जा रहा था कि नगर निकाय चुनाव के जरिये भाजपा और कांग्रेस को मतदाताओं पर अपनी पकड़ दिखाने का मौका मिलेगा, लेकिन अब यह तय है कि निकाय चुनाव से पहले विधानसभा उपचुनाव होगा। इस लिहाज से देखा जाए तो यह उप चुनाव इन दोनों ही पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी बन गया है। भाजपा राज्य के चौथे विधानसभा चुनाव में तीन-चौथाई से ज्यादा, 57 सीटों के साथ सत्ता में आई तो कांग्रेस को महज 11 सीटों पर सिमट कर रह जाना पड़ा। लिहाजा, भाजपा चाहेगी कि थराली विधानसभा सीट पर फिर पार्टी का ही कब्जा रहे, जबकि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद उप चुनाव जीत पराजय के गम को कुछ कम करना चाहेगी।

दरअसल, राज्य निर्माण के बाद हुए चार विधानसभा चुनाव में यह पहली बार हुआ कि कोई पार्टी इस कदर भारी भरकम बहुमत के साथ सत्ता तक पहुंची। इससे पहले के तीन विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने वाली पार्टियां मामूली बहुमत या बाहरी समर्थन के बूते ही सरकार बना पाई। यही वजह भी रही कि उत्तराखंड को सत्रह साल तक लगातार राजनैतिक अस्थिरता से जूझना पड़ा। इस दफा पहली बार भाजपा को एकतरफा बहुमत मिला और सरकार बगैर किसी दबाव के काम करने को स्वतंत्र है। हालांकि यह महज एक सीट का उप चुनाव ही है लेकिन इसके बावजूद इसकी अहमियत खासी समझी जा रही है। भाजपा जहां अपनी केंद्र सरकार के चार साल और राज्य सरकार के एक साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को मतदाता तक ले जाकर जनादेश मांगेगी, वहीं कांग्रेस की रणनीति दोनों सरकारों को कठघरे में खड़ा करने की रहेगी। इस दृष्टिकोण से देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किस पार्टी को तवज्जो देते हैं। इस चुनाव के नतीजे से आगामी निकाय चुनाव और फिर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के रुख का कुछ अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]