आखिरकार चीन लद्दाख में अपने कदम पीछे खींचने के लिए विवश हुआ। उसे डोकलाम के बाद लद्दाख में भी मात खानी पड़ी तो भारत के इसी दृढ़ इरादे के कारण कि उसकी दादागीरी को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। भारतीय प्रधानमंत्री का लेह दौरा देश के इसी दृढ़ इरादे को रेखांकित करने वाला था। यह उल्लेखनीय है कि डोकलाम के मुकाबले लद्दाख में चीन को कहीं जल्द समझ आ गया कि भारत से उलझना महंगा पड़ेगा। चीनी सेना लद्दाख से जिस तरह पीछे हटने को बाध्य हुई उससे दुनिया को यही संदेश गया कि चीन से आंखों में आंखें डालकर बात करने की जरूरत है। चीन के खिलाफ यह जो संदेश गया उससे विश्व समुदाय में भारत की अहमियत तो बढ़ेगी ही, चीन की हरकतों से परेशान देशों का मनोबल भी बढ़ेगा।

चूंकि भारत सीमा पर यथास्थिति बनाए रखने के मामले में चीन को दबाव में लेने पर कामयाब रहा इसलिए अब उसे इसके लिए कोशिश तेज कर देनी चाहिए कि यदि चीनी सत्ता सचमुच भारत से संबंध सुधारना चाहती है तो सीमा विवाद सुलझाने के लिए आगे आए। अभी तक चीन सीमा विवाद सुलझाने का नाटक ही करता आ रहा है। भारत को इस नाटकबाजी पर पर्दा डालने के लिए सक्रिय होना होगा। इसी के साथ भारतीय सेना को चीन से लगती सीमा पर और अधिक सतर्कता भी बरतनी होगी। उसकी ओर से मित्रता, सहयोग और शांति की बातें करने के बाद भी उस पर यकीन नहीं किया जा सकता।

चूंकि चीन भरोसे के काबिल नहीं रहा इसलिए उस पर आर्थिक निर्भरता कम करने का अभियान प्राथमिकता में बने रहना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय नियम-कानूनों को धता बताने और अपनी खतरनाक विस्तारवादी प्रवृत्ति बरकरार रखने वाले चीन सरीखे देश पर आर्थिक निर्भरता जितनी जल्द खत्म हो उतना ही अच्छा। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना केवल इसीलिए आवश्यक नहीं है कि अहंकारी चीन की चुनौतियों का जवाब देना है, बल्कि इसलिए भी है, क्योंकि उससे ही हम अपनी तमाम आंतरिक समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होंगे।

वास्तव में आर्थिक रूप से सबल भारत ही विश्व समुदाय में अपनी सही पहचान स्थापित करने में समर्थ होगा। चीन ने लद्दाख में जो संकट खड़ा किया उसका सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी भी मामले में हम उसके मोहताज न रहें और उसकी संवेदनशीलता की चिंता तभी करें जब वह हमारे हितों की परवाह करे। सरकार और साथ ही कारोबार जगत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पहले कोरोना के कहर और फिर लद्दाख में टकराव के चलते चीन पर आर्थिक निर्भरता खत्म करने को लेकर जो कदम उठाने शुरू किए गए थे वे शिथिल न पड़ने पाएं।