होली के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह अधिकारियों के पेंच कसे हैं, वह सर्वथा उचित है। इस बार शुक्रवार को होली होने के कारण विशेष सावधानी बरते जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सभी मंडलायुक्त, आइजी, डीआइजी, डीएम, एसएसपी, एसपी को सुझाव और हिदायतें देकर त्योहार शांतिपूर्वक संपन्न कराने की जिम्मेदारी सौंपी। तहसील स्तर तक शांति समिति की बैठकें कराने के साथ ही दोनों समुदायों में संवाद करने की सलाह दी है। यह बहुत अच्छी बात है। प्रदेश के मुखिया की हैसियत से मुख्यमंत्री योगी ने जो भूमिका निभाई है वह उदाहरण योग्य है। होली के मौके पर लोगों से धन, चंदा उगाही आदि की शिकायतें आती हैं। कई बार छोटी सी बात को लोग नाक का सवाल बना देते हैं, यहीं रंग में भंग होता है। मुख्यमंत्री ने यह भी मंशा जाहिर की है कि किसी भी स्थिति में नई रवायत शुरू करने की अनुमति न दी जाए। इसलिए हर संवेदनशील मुद्दे पर पुलिस और प्रसाशनिक अधिकारियों को बारीकी से नजर रखनी होगी।

त्योहार पर विशेषकर पहली और दूसरी मार्च को बिजली-पानी की निर्बाध आपूर्ति, नगरीय और ग्रामीण दोनों इलाकों में सफाई भी एक चुनौती है। ऐसे ही खाद्य पदार्थों में मिलावट के प्रति भी पूरी सतर्कता बरतनी होगी। परंपरागत आयोजनों को पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया गया है। जुलूसों के दौरान संवेदी स्थलों की वीडियोग्राफी की जाएगी। शराब बिक्री पर सतर्कता बरती जाएगी और असामाजिक तत्वों को पाबंद किया जाना है। दरअसल अन्य त्योहारों के मुकाबले होली पर हुड़दंग, मारपीट, हंगामे व नशेबाजी की घटनाएं ज्यादा होती हैं। कहीं कहीं तो रंग लगाने को लेकर लोग हत्याएं तक हो जाती हैं। सबसे ज्यादा स्थिति तो तब बिगड़ती है जब रंग को लेकर अथवा होरियारों के रास्ते को लेकर दो समुदाय के दो-एक लोगों के बीच तनातनी होती है और बाद में वह सांप्रदायिक तनाव में बदल जाती है। मुख्यमंत्री के सुझावों पर यदि पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने पूरी निष्ठा से अमल किया तो निसंदेह इस बार की होली अपेक्षाकृत ज्यादा शांतिपूर्ण व सलीकेदार रहेगी। चहुंओर होली का उल्लास देखने को मिलेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]