पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र की मोदी सरकार के विरोध का इंतहा कर दिया है। लोकतंत्र में किसी भी सरकार का विरोध होना चाहिए। उनकी नीतियों पर सवाल उठाते हुए विरोध करना विपक्षी दलों का मुख्य कर्तव्य है। क्योंकि, विपक्ष ही है जो किसी भी सरकार को मनमर्जी करने से रोकता है। परंतु, सिर्फ सियासी वजहों से किसी भी सरकार की हर योजना या निर्देशों का विरोध करने को क्या कहा जाएगा? यह बड़ा सवाल है। आज हमारे देश में केंद्र सरकार के गलत कार्यों की ही नहीं अच्छे कार्यों के विरोध की एक परंपरा चल रही है। इस कड़ी में वैसे करीब हर विरोधी दल जुड़े हुए हैं लेकिन बंगाल की ममता सरकार की बात ही जुदा है। उन्होंने तो तय कर रखा है कि केंद्र जो भी योजना या निर्देश देश के सभी राज्यों के लिए लागू करेगा उसका हम विरोध करेंगे। पिछले एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार है कि केंद्रीय योजना व निर्देश को लागू करने से साफ मना कर दिया। इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम को प्रसारित करने से इन्कार करना भी जुड़ गया है। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने गुरुवार को स्पष्ट कहा कि परीक्षा का वक्त है।

छात्र-छात्राएं अपनी-अपनी तैयारियों में व्यस्त हैं। ऐसे में छात्रों के लिए इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करना संभव नहीं है। स्कूल-कॉलेजों में टीवी के सामने छात्रों को बैठने के लिए बाध्य करना उचित नहीं है। पार्थ ने तर्क दिया कि यह कोई राष्ट्रीय भाषण नहीं है जो सुनाना जरूरी है। वैसे भी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के सभी निर्देश राज्य सरकार मानने को बाध्य नहीं है। हालांकि, यह कोई सियासी भाषण नहीं था। बावजूद इसके बंगाल सरकार ने इसे प्रसारित करने से इन्कार कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा के तनाव से कैसे बचें इसकी जानकारी देने वाली एक पुस्तक भी लिखी, जो कोलकाता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला में खूब बिकी। परीक्षा के इस मौसम में छात्र-छात्राओं और उनके माता-पिता भी काफी तनाव रहते हैं। इसे कैसे बचा जा सकता है इस पर प्रधानमंत्री ने बच्चों के हर सवालों का जवाब दिया और बच्चे खुश व संतुष्ट भी दिखें। यूजीसी ने देश के सभी शिक्षा प्रतिष्ठानों में प्रधानमंत्री की बातों को सुनाने के लिए पत्र लिखा था। बंगाल को भी यह निर्देश मिला था। यहां एक बड़ा सवाल यह है कि क्या बच्चों को प्रधानमंत्री की अच्छी बातों से दूर रखना क्या उचित है? इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। क्योंकि, बंगाल भी भारत का ही एक राज्य है।

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हाईलाइटर:: पिछले एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार है कि केंद्रीय योजना व निर्देश को लागू करने से साफ मना कर दिया।

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]