इससे बेहतर और कुछ नहीं कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने पाकिस्तानी सैनिक की गोली का निशाना बने अपने साथी की शहादत का बदला लेने में देर नहीं की और उन्होंने जोरदार कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के करीब एक दर्जन रेंजर मार गिराए। इसके कुछ दिनों पहले अपने एक मेजर सहित तीन सैनिकों की शहादत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने सीमा पार कर पाकिस्तानी सैनिकों को सबक सिखाया था। यह लगभग तय है कि सीमा सुरक्षा बल की ओर से की गई ताजा कार्रवाई पर पाकिस्तान या तो मौन साधे रहेगा या फिर यह जताएगा कि कुछ खास नहीं हुआ। जो भी हो, यह आवश्यक है कि उसे ईंट का जवाब पत्थर से देने में कोई कोर कसर न उठा रखी जाए। अंध-भारत विरोध से भरे हुए पाकिस्तान के प्रति कोई नरमी न दिखाने और उसकी आतंकी गतिविधियों को करारा जवाब देने में देर न करने से यह स्पष्ट है कि सीमा सुरक्षा बल हो या फिर सेना वह अपने स्तर पर पाकिस्तान से निपटने में सजग भी है और सक्षम भी।  

इस सजगता और सक्षमता का परिचय मिल जाने के बाद कम से कम इस मसले पर राजनीतिक दल क्षुद्र राजनीति करने से बाज आएं तो बेहतर। जब हमारे जवान पाकिस्तान को उसी की भाषा जवाब देने में लगे हुए हैं तब फिर संसद के भीतर या फिर बाहर इस तरह के सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं कि नियंत्रण रेखा अथवा कश्मीर के हालात पर प्रधानमंत्री कुछ क्यों नहीं कहते? ऐसे सवाल उठाना एक तरह से सेना और सुरक्षा बलों का ध्यान भंग करने वाली सस्ती राजनीति है। अच्छा हो कि हमारे राजनीतिक दल यह समझें कि जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान की ओर से छेड़े गए छद्म युद्ध से जूझ रहा है।

आने वाले दिनों में पाकिस्तान की ओर से कश्मीर पर थोपे गए छद्म युद्ध में और अधिक तेजी आ सकती है। इसके चलते सुरक्षा बलों को जोखिम भी उठाना पड़ सकता है। इसका अंदेशा इसलिए है, क्योंकि पाकिस्तान इस छद्म युद्ध को बहुत घिनौने स्तर पर ले जा चुका है। इसका प्रमाण यह है कि वह नियंत्रण रेखा पर आतंकियों के साथ मिलकर हमारे सैनिकों को निशाना बना रहा है। ऐसे कठिन हालात में देश-दुनिया को ऐसा कोई संदेश नहीं जाना चाहिए कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के मामले में भारत में राजनीतिक एका नहीं। 

पाकिस्तान के छद्म युद्ध को देखते हुए राजनीतिक स्तर पर एकजुटता की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि भारत के साथ-साथ अमेरिका की ओर से बढ़ते दबाव के चलते इस्लामाबाद की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। इस बौखलाहट के चलते वह जम्मू-कश्मीर सीमा पर और अधिक उत्पात मचा सकता है। वह नियंत्रण रेखा पर अपनी गतिविधियों में तेजी लाने के साथ उस तरह की हरकतें भी कर सकता है जैसी उसने भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव का ताजा वीडियो जारी करके की। यह वीडियो पाकिस्तान के पागलपन का नया प्रमाण ही है। इसी पागलपन का परिचय वह नियंत्रण रेखा पर भी दे रहा है। दरअसल इसी कारण बीते सालों के विपरीत इस बार कड़ाके की ठंड के बावजूद नियंत्रण रेखा कहीं अधिक अशांत है।