जम्मू कश्मीर में अप्रैल में बदला मौसम किसानों के लिए आफत बना हुआ है। विगत दिवस राज्य में तेज हवा के बीच बारिश और आंधी से जम्मू के मैदानी इलाकों में खड़ी गेहूं की फसल के जमीन पर लेट जाने के कारण किसानों की रोजी रोटी पर आन पड़ी है। अगर मौसम और खराब हो गया तो किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। वैसे तो हर साल दूसरे राज्यों से मजदूर फसल की कटाई के लिए जम्मू पहुंचते हैं। इस साल मजदूरों का जम्मू में न पहुंचना किसानों की चिंता का कारण बना हुआ है। बिगड़े मौसम के अलावा किसानों के लिए खेतों के ऊपर से गुजरते बिजली के ढीले तार भी मुसीबत बने हुए हैं। जरा सी हवा चलने पर तारों के आपस में टकराने से निकली चिंगारी से आग लगने की आशंका बनी रहती है। हर साल किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल जल कर राख हो जाती है। बेशक हर तहसील में एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी तैनात रहती है, लेकिन जम्मू के सीमांत क्षेत्र आरएसपुरा, बिश्नाह, सांबा, अरनियां, रामगढ़ आदि क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ भूमि पर गेहूं की फसल कटने के लिए तैयार है। गनीमत यह है कि विगत दिवस तेज हवाओं के दौरान बिजली विभाग ने इन ग्रामीण क्षेत्रों में सप्लाई बंद कर दी। किसानों को भी चाहिए कि वे बिना विलंब के फसल को काटने के लिए थ्रेशर आदि का इस्तेमाल करें ताकि बिना वक्त गंवाए फसलों को समेटा जा सके। बेशक इसमें किसानों को थ्रेशिंग के लिए पैसा खर्च करना पड़ेगा। लेकिन इससे उनकी मेहनत पर पानी नहीं फिरेगा। ऐसे में पंजाब से कई थ्र¨शग मशीनें जम्मू पहुंची हैं। सरकार को भी चाहिए कि ग्रामीण इलाकों में बिजली के ढांचे को दुरुस्त करवाएं। सर्वप्रथम ढीले तारों को दुरुस्त किया जाए। इतना ही नहीं हर तहसील में फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी के बजाए तीन दमकल गाड़ियां तैनात की जाए। इसके अलावा इलाके की पुलिस को भी किसी अनहोनी में स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा जाए। इसके लिए किसानों को भी एकजुट रहना होगा। कई बार खेतों में दमकल गाड़ियां लेट पहुंचती हैं। 

[स्थानीय संपादकीय: जम्मू कश्मीर]