प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने को प्रयासरत है। लक्ष्य है कि खेती के स्वरूप में ही बदलाव लाया जाए। चुनौती है कि किसानों की परेशानी को समझकर उन्हें ऐसी कृषि पद्धति की ओर ले जाया जाए जहां से उनकी समृद्धि की राह निकल सके। अभी किसान गेहूं व धान के चक्र से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। लगातार प्रयास व सरकारी तंत्र के प्रचार के बावजूद अभी तक किसान वैकल्पिक खेती की राह पर आगे बढ़ने को तत्पर नहीं दिख रहे। किसानों की चिंता का समाधान किए बिना केवल कागजी प्रचार से यह संभव भी नहीं है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि उनके उत्पाद खरीदेगा कौन और क्या उन्हें पर्याप्त दाम मिल पाएंगे। फल, फूल व मछली पालन को बढ़ावा देने से पहले आवश्यक है कि इनके लिए बाजार भी उपलब्ध हो।

चूंकि बिना तैयारी के किए गए कई प्रयास किसानों पर इस कदर भारी पड़े हैं कि उन्होंने किसी भी प्रयोग से कन्नी काट ली। इसका समाधान दिया जा रहा है कि दिल्ली बार्डर पर फूल मंडी बनाने की तैयारी है पर तब तक कोई विकल्प किसानों के पास नहीं है। छोटा किसान दिल्ली की मंडी में अपने उत्पाद बेचने नहीं जा सकता। दूसरी चिंता, विज्ञानी सोच और तकनीकी सहयोग की है। प्रदेश सरकार विदेशी तकनीक लाने के लिए प्रयासरत है। हाल ही में कृषि मंत्री आधुनिक तकनीक के अध्ययन के लिए विदेश दौरे में हैं। उसके बाद मुख्यमंत्री ऐसे दौरों पर जा रहे हैं। आवश्यक है कि इन दौरों से ठोस प्रस्तावों को धरातल पर लाया जाए। घरों में सजाने वाली मछलियों के पालन और फूलों की खेती को बढ़ाने के लिए विशेष केंद्र बनाए गए हैं। कृषि मेलों से भी इस सोच को फैलाने का प्रयास है। आवश्यक है कि इस सोच को आम किसान तक पहुंचाया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]