जागरण संपादकीय: अशांत मणिपुर, केंद्र और राज्य सरकार को नई रणनीति पर करना होगा काम
मणिपुर में स्थितियां किस तरह खराब होती जा रही हैं इसे इससे भी समझा जा सकता है कि ड्रोन और राकेट हमलों के कारण सुरक्षा बलों को हेलीकाप्टरों के जरिये निगरानी करनी पड़ रही है। मणिपुर के हालात यही बता रहे हैं कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए केंद्र राज्य सरकार और सुरक्षा बलों को किसी नई रणनीति पर काम करना होगा।
मोदी सरकार के लिए यह गंभीर चिंता का विषय बनना चाहिए कि मणिपुर शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। गत दिवस वहां फिर हिंसा भड़क उठी, जिसमें कई लोग मारे गए। नए सिरे से हिंसा भड़कने से हालात और अधिक बिगड़ने की आशंका के चलते राज्य सरकार ने जिस तरह सभी स्कूल बंद करने का निर्णय लिया, उससे यही पता चलता है कि हिंसा पर काबू पाना कठिन होता जा रहा है।
इस सीमावर्ती राज्य में रह-रहकर हिंसक घटनाएं होती ही रहती हैं। इससे शांति बहाली की उम्मीद दम तोड़ती रहती है। मणिपुर को अशांत हुए एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है और हाल की घटनाओं से लगता नहीं कि वहां आसानी से शांति कायम हो सकेगी। चिंताजनक केवल यह नहीं है कि मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक टकराव समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है, बल्कि यह भी है कि अब वहां कहीं अधिक घातक हथियारों का उपयोग हो रहा है।
बीते दिनों पहले यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि वहां ड्रोन से हमले हो रहे हैं, फिर राकेट हमले की खबरें आईं। स्पष्ट है कि हथियारबंद समूह न केवल कहीं अधिक आधुनिक हथियारों से लैस हो रहे हैं, बल्कि वे दुस्साहसी भी हो रहे हैं। अब तो ऐसा भी लगता है कि उनके दुस्साहस का सामना करने में सुरक्षा बलों को भी मुश्किल पेश आ रही है। यह सामान्य बात नहीं कि हथियारबंद समूह सुरक्षा बलों से हथियार छीन लेते हैं और जवाबी कार्रवाई से बचने के लिए बंकरों में छिप जाते हैं।
मणिपुर में स्थितियां किस तरह खराब होती जा रही हैं, इसे इससे भी समझा जा सकता है कि ड्रोन और राकेट हमलों के कारण सुरक्षा बलों को हेलीकाप्टरों के जरिये निगरानी करनी पड़ रही है। मणिपुर के हालात यही बता रहे हैं कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए केंद्र, राज्य सरकार और सुरक्षा बलों को किसी नई रणनीति पर काम करना होगा। इस रणनीति के तहत उन्हें मैतेई और कुकी समुदाय के बीच वैमनस्य खत्म करने के जतन करने होंगे। यह आसान काम नहीं, क्योंकि दोनों समुदाय पूरी तरह बंट चुके हैं।
स्थिति यह है कि एक-दूसरे के इलाकों में रहने वाले दोनों समुदायों के लोग वहां से पलायन कर चुके हैं। इन दोनों समुदायों के बीच अविश्वास खत्म करने के साथ ही उपद्रवी तत्वों और विद्रोहियों के दुस्साहस का दमन करना भी आवश्यक है। इसी क्रम में मणिपुर में म्यांमार से होने वाली घुसपैठ पर भी लगाम लगानी होगी और मादक पदार्थों के कारोबार पर भी। चूंकि म्यांमार भी अस्थिरता से जूझ रहा है, इसलिए केंद्र सरकार को कहीं अधिक सजग रहना होगा। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि मणिपुर में भारत विरोधी शक्तियां भी सक्रिय हैं। यदि मणिपुर अशांत बना रहता है तो भारत सरकार को अपनी एक्ट ईस्ट नीति को आगे बढ़ाने में कठिनाई ही होगी।