यदि केंद्र सरकार ने राजमार्गों से अतिक्रमण हटाने के लिए राज्यों को फिर से चिट्ठी लिखी तो इसका मतलब है कि पहले जो चिट्ठियां लिखी गई थीं, उन पर ध्यान नहीं दिया गया या फिर अतिक्रमण फौरी तौर पर ही हटाया गया। शायद यही कारण है कि इस बार लिखी गई चिट्ठी में यह कहा गया है कि जिम्मेदारी तय कर इसकी निगरानी की जाए कि राजमार्गों पर अतिक्रमण न होने पाए। केंद्र सरकार ने राज्यों को पिछले दिशा-निर्देशों की भी याद दिलाई है।

राजमार्गों पर अव्यवस्था और अराजकता पैदा करने के साथ दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बनने वाले अतिक्रमण को हटाना कोई ऐसा काम नहीं, जिसके लिए केंद्र सरकार के निर्देशों की आवश्यकता हो, लेकिन अपने देश में जरूरी कामों और जोखिम से बचने के उपायों को लेकर भी निर्देश देने पड़ते हैं। इससे यही पता चलता है कि राज्य सरकारें और उनकी एजेंसियां राजमार्गों पर किए जाने वाले अतिक्रमण हटाने को लेकर गंभीर नहीं।

जब वे राजमार्गों पर सुगम यातायात को लेकर सजग नहीं तो फिर वे राज्य मार्गों यानी स्टेट हाईवे एवं अन्य सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त रखने के लिए कितना तत्पर रहती होंगी। यह किसी से छिपा नहीं कि अपने देश में राजमार्गों से लेकर हर व्यस्त सड़क अतिक्रमण से ग्रस्त रहती है। इसके चलते न केवल आवागमन में बाधा पैदा होती है और जाम लगता है, बल्कि दुर्घटनाएं भी होती हैं, जिनमें प्रति वर्ष डेढ़ लाख से अधिक लोग मरते हैं।

यह अच्छी बात नहीं कि राज्य सरकारों को बार-बार याद दिलाना पड़े कि राजमार्गों को अतिक्रमण से बचाने की जरूरत है। इसकी आवश्यकता तो राज्य सरकारों को स्वत: महसूस होनी चाहिए। राजमार्गों पर तय गति सीमा से वाहन न चल पाने, जाम लगने और दुर्घटनाओं का सिलसिला कायम रहने के बावजूद उन्हें अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया जा पा रहा है। राजमार्गों के साथ उनसे जुड़ी सड़कें भी अतिक्रमण और जाम से अटी पड़ी रहती हैं।

शहरी सीमा में तो राजमार्ग बिल्कुल आम सड़कों की तरह तब्दील हो जाते हैं। उनमें हर तरह के वाहन चलते नजर आते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी देखने को मिलता है कि उनमें यातायात नियमों का पालन नहीं होता। स्थिति यह है कि उलटी दिशा में भी वाहन चलते मिलते हैं।

केंद्र सरकार को राज्यों को राजमार्गों को अतिक्रमण से मुक्त रखने के दिशा-निर्देश देने के साथ यह भी देखना होगा कि उनमें यातायात पुलिस की उपस्थिति कैसे बढ़े और उनमें प्रकाश की समुचित व्यवस्था कैसे हो? चूंकि बरसात करीब आ रही है, इसलिए राजमार्गों में जल निकासी की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए और उन्हें गड्ढा मुक्त करने पर भी। इससे इन्कार नहीं कि देश में राजमार्ग तेजी से बन रहे हैं, लेकिन यह ठीक नहीं कि इसी के साथ वे समस्याओं से घिरते भी जा रहे हैं।