अगर खुफिया एजेंसियों की ऐसी सूचना है तो इस पर न केवल सीमा सुरक्षा बल बल्कि राज्यों की पुलिस को भी चौकसी बढ़ानी होगी।
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खुफिया ब्यूरो की यह आशंका चिंतित करने वाली है कि पंजाब में एक बार फिर पठानकोट जैसा आतंकी हमला हो सकता है। यह आशंका उसने इस सूचना के आधार पर जताई है कि जैश-ए-मोहम्मद संगठन के आठ आतंकी भारतीय सीमा में घुसने के बाद पंजाब की तरफ बढ़े हैैं और रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकते हैैं। जम्मू-कश्मीर व पाकिस्तान की सीमा से लगा पंजाब हमेशा ही संवेदनशील रहा है। हालांकि गुरदासपुर व पठानकोट आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान सीमा पर सीमा सुरक्षा बल की संख्या व चौकसी में बढ़ोतरी हुई है लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि घुसपैठ को पूरी तरह रोकने के लिए सीमा बिल्कुल सील है। कुछ जगह व प्वांइट्स ऐसे हैैं जहां से घुसपैठ अभी भी होती है। जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो वहां के हालात व आतंकी वारदातों से सभी वाकिफ हैैं। वहां आसानी से पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ होती रहती है। हालांकि जम्मू व पंजाब के बीच काफी कड़ी निगरानी व चेकिंग है फिर भी आंतकियों की उस ओर से इधर के लिए आमद को पूरी तरह रोकना मुश्किल है। सुरक्षा बलों के लिए ही नहीं, दोनों राज्यों की पुलिस के लिए यह बड़ी चुनौती है। अब अगर खुफिया एजेंसियों की ऐसी सूचना है तो इस पर न केवल सीमा सुरक्षा बल बल्कि राज्यों की पुलिस को भी चौकसी बढ़ानी होगी। पंजाब में हमलों की इससे पहले भी आशंका जताई जाती रही है। अभी कुछ दिन पहले ही अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में बम या कुछ और संदिग्ध वस्तु होने की आशंका के चलते दो दिन तक सघन तलाशी अभियान चलता रहा। पठानकोट जिले में तो पिछले दो साल में कई बार संदिग्धों को देखे जाने के पश्चात सर्च आपरेशन चलते रहे हैैं। कुछ माह पहले ऐसी आशंका भी जताई गई थी कि कुछ धार्मिक नेताओं को निशाना बनाया जा सकता है। यह आशंका निर्मूल भी नहीं थी क्योंकि कुछ घटनाएं ऐसी हुई भी थीं। कुछ ङ्क्षहदू संगठनों के नेताओं पर फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना व जालंधर में हमले हुए भी हैैं। लुधियाना में ही पिछले दिनों एक पादरी पर भी हमला हुआ। इन सभी मामलों के पीछे राज्य की पुलिस व खुफिया एजेंसियां आतंकी हाथ होने की आशंका से इंकार नहीं करती हैैं। चिंता की बात यह भी है कि अभी तक इन ज्यादातर मामलों की गुत्थी सुलझी नहीं है। अब खुफिया एजेंसियों के अलर्ट व आगे त्योहारों के दिनों के मद्देनजर सीमा व राज्य के भीतर चौकसी चाक चौबंद किए जाने की सख्त जरूरत है।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]