जम्मू संभाग के सांबा जिले के विजयपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निर्माण के लिए वन भूमि को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंपने से अब उम्मीद बंध गई है कि प्रोजेक्ट पर जल्द काम शुरू होगा। इस भूमि पर बसे कुछ परिवारों के विरोध के कारण इसे संबंधित विभाग को स्थानांतरित नहीं किया जा रहा था। सरकार ने इन परिवारों को पुनस्र्थापित करने के लिए जगह का चयन किया, इसके बावजूद भूमि स्थानांतरित करने में दो वर्ष लग गए। जम्मू संभाग में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी सुविधाओं का अभाव है। इसका एक कारण यहां दूसरे राज्यों से फैकल्टी की नियुक्ति न होना भी है। कई ऐसे विभाग व बीमारियां हैं जिनके विशेषज्ञ जम्मू में नहीं हैं। मरीजों को इलाज के लिए अन्य राज्यों में जाना पड़ता है। इन्हीं परिस्थितियों को देख जम्मू के लोग केंद्र सरकार से वर्षो से एम्स स्थापित करने की मांग कर रहे थे।

यह अच्छी बात है कि केंद्र सरकार ने जम्मू के लोगों के दर्द को समझा और यहां एम्स की मंजूरी दे दी। अब सरकार को चाहिए कि वह एम्स स्थापित करने की राह में जो भी रोड़े हैं, उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाकर निर्माण जल्द कराए। इससे न सिर्फ जम्मू संभाग के लाखों लोगों को विशेषज्ञों की सेवाएं मिलेंगी बल्कि इससे यहां पर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ेगा। यह सही है कि कश्मीर में पहले से ही शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज होने के कारण वहां पर शोध कार्य भी चल रहे थे लेकिन जम्मू संभाग अभी तक इससे अछूता था। राज्य सरकार को चाहिए कि वह एम्स स्थापित करने में पूरी गंभीरता दिखाने के साथ पांच मेडिकल कॉलेजों का निर्माण भी तेजी से कराए। दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को बहुत परेशानी ङोलनी पड़ती हैं। मेडिकल कॉलेज खुलने से क्षेत्र के लोगों को घर के पास बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी और उन्हें भी बिना इलाज दम नहीं तोड़ना पड़ेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]