हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। बजट सत्र में भविष्य के हरियाणा की नीतियों पर मुहर लगनी चाहिए। सत्र शुरू होने से पूर्व बजट सत्र को हंगामेदार बनाने की तैयारी हो चुकी है। चूंकि अगले बजट से पूर्व लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी होगी और संभव है कि विधानसभा चुनाव भी साथ ही करा लिए जाएं। सरकार ने संकेत दे दिया है कि आम आदमी व युवा उसके एजेंडे में होंगे। किसान आंदोलन के मद्देनजर इस वर्ग पर भी मेहरबानी हो सकती है। इन सबके बीच आवश्यक है कि सरकार विकास के एजेंडे पर निरंतर आगे बढ़ती रहे। चूंकि किसानों की स्थिति में बदलाव के लिए सरकार एक नीति पर चल रही है, इसलिए उसका प्रभाव दिखने में कुछ समय लग सकता है। सरकार को छोटी राहत के बजाय किसानों की आय बढ़ाने के उपायों पर फोकस रखने की आवश्यकता है। इसी तरह कृषि आधारित उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने पर चर्चा होनी चाहिए।

विपक्ष किसानों के मुद्दो पर सरकार को घेरने का आक्रामक रुख की तैयारी कर चुका है। पानी के बाद अब स्वामीनाथन आयोग के मसले पर किसान संगठनों ने विधानसभा के घेराव की चेतावनी दी है। इनेलो एसवाईएल मसले पर दिल्ली में रैली कर रहा है। कांग्रेस ने भी अपनी बैठकों के माध्यम से तैयारी कर ली है। कर्मचारी संगठनों व आंगनबाड़ी वर्करों के आंदोलन की गूंज भी विधानसभा में दिखाई देगी। ऐसे में चिंता है कि विधानसभा की कार्यवाही हंगामे की भेंट न चढ़ जाए। चुनावी चिंतन में सभी दल सक्रियता दिखाना चाहते हैं। लेकिन सदन में हंगामे के बजाय सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को जनता से जुड़े मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]