त्रिवेंद्र सरकार का पहला साल राजनैतिक स्थिरता के लिहाज से सुकून से गुजरा तो इसका सबसे बड़ा कारण भाजपा को विधानसभा चुनाव में मिला भारी-भरकम बहुमत ही रहा।

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ठीक एक साल पहले उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभालने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने एक साल पूरा कर लिया। जब सरकार वजूद में आई तो इसके आपसी समन्वय पर सभी की नजरें टिकी हुई थीं। वह इसलिए, क्योंकि दस सदस्यीय मंत्रिमंडल में आधे सदस्य वे पूर्व कांग्रेसी थे, जो पाला बदल कर भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बावजूद सरकार का पहला साल राजनैतिक स्थिरता के लिहाज से सुकून से गुजरा तो इसका सबसे बड़ा कारण भाजपा को विधानसभा चुनाव में मिला भारी-भरकम बहुमत ही रहा। दरअसल, चौथी विधानसभा में भाजपा तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता तक पहुंची, जबकि इससे पहले किसी भी पार्टी को यह सहूलियत नहीं मिली।

सरकार भाजपा ने बनाई हो या कांग्रेस ने, हमेशा मामूली बहुमत या फिर बाहरी समर्थन के बूते ही सरकार चली। इस कारण सूबा लगातार सोलह सालों तक राजनैतिक अस्थिरता से जूझता रहा। इस बार भाजपा के पास इतना बड़ा बहुमत है कि पार्टी के भीतर व्यक्ति विशेष, या कहें तो गुट विशेष किसी तरह का दबाव बनाने की स्थिति में रहा ही नहीं। इसीलिए अगर यह कहा जाए कि स्थिरता के लिहाज से गुजरा साल राज्य गठन के बाद से अब तक सबसे बेहतर रहा, तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। जहां तक सरकार के कामकाज का सवाल है तो पहला साल संतोषजनक कहा जा सकता है। सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता करार दिया था और अब तक तो यह सरकार इस पर खरी उतरी है।

एनएच 74 मुआवजा घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटाला, खाद्यान्न घोटाला व सिडकुल में अनियमितताओं को लेकर सरकार ने जिस तरह कड़े कदम उठाए, उसने इस बात की पुष्टि की। सबसे बड़ी बात, पिछले एक साल में किसी भी मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे। भ्रष्टाचार पर लगाम की कवायद के साथ ही सरकार ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए। पलायन राज्य की एक बड़ी समस्या है और इस सरकार ने सत्रह साल बाद ही सही उत्तराखंड के इस दर्द को महसूस कर पलायन आयोग का गठन कर इस दिशा में पहल की। स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, उद्योग, कृषि, सड़क, बिजली, पानी और महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी सरकार ने कदम बढ़ाए हैं। यही नहीं, डबल इंजन, यानी राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार, का भी उत्तराखंड को खासा फायदा मिला है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार आने वाले चार सालों में विकास के पथ पर पूरी तरह अग्रसर नजर आएगी।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]