यह शुभ लक्षण है कि बिहार सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। इसकी शुरुआत हर ब्लॉक में एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्थापना से की जा रही है। फिर इसका क्रमश: विस्तार करने का विचार है। राज्य सरकार अपनी इस शुभेच्छा को मूर्त रूप देने में सफल हुई तो सूबे की शिक्षा प्रणाली, खासकर ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था के चेहरे की चमक बढ़ेगी। भाषा के तौर पर अंग्रेजी हमेशा महत्वपूर्ण रही। कुछ लोग अंग्रेजी के प्रसार को हिंदी की अवनति मानते हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है। हिंदी से हमारा भावनात्मक लगाव स्वाभाविक है, पर किसी दूसरी भाषा, खासकर अंग्रेजी को पीछे करके हिंदी को बढ़ावा देने की सोच अतार्किक है। हिंदी अपनी जगह है और अंग्रेजी अपनी जगह। अंग्रेजी का ज्ञान उतना ही आवश्यक है जितना हिंदी का। भारतीय संदर्भ में दोनों भाषाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, 'सौतन' नहीं।

राज्य सरकार की योजना के संदर्भ में एक बड़ी चुनौती ऐसे शिक्षकों की तलाश है जो अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को विषय ज्ञान करवा सकें। चूंकि इन शिक्षकों की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में की जानी है, इसलिए यह चुनौती और प्रबल हो जाती है। संभवत: अतिरिक्त भत्ता और सुविधाओं के आकर्षण में ही अच्छे शिक्षक ग्रामीण विद्यालयों में सेवा करना स्वीकार करेंगे। जाहिर है कि शिक्षक जुटाने के लिए सरकार को विशेष प्रयास करने होंगे। यूपी और बिहार जैसे हिंदीभाषी राज्यों के ग्रामीण पृष्ठभूमि के मेधावी बच्चों को भी इंटरमीडिएट से आगे बढ़ते ही सीमित अंग्रेजी ज्ञान के कारण कठिनाई होती है। ऐसे मामले भी प्रकाश में आते रहते हैं कि किसी मेधावी छात्र ने इंजीनियरिंग या मेडिकल उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षा तो उत्तीर्ण कर ली किन्तु आइआइटी, एनआइटी और प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थानों के आंतरिक माहौल में न ढल पाने पर वापस लौट आते हैं। इसी प्रकार सिविल और प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में भी हिंदीभाषी राज्यों के अभ्यर्थियों को कठिनाई पेश आती है। इस पृष्ठभूमि में बिहार सरकार की ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी माध्यम शिक्षा को बढ़ावा देने की योजना हर दृष्टि से सराहनीय है।

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हिंदी हमारे दिल में बसती है। इसके ज्ञान के बिना हम अपनी जीवन पद्धति के साथ न्याय नहीं कर सकते, पर ज्ञान और व्यक्तित्व की पूर्णता के लिए अंग्रेजी का ज्ञान भी उतना ही जरूरी है। इस दृष्टि से बिहार सरकार की ग्रामीण विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम शिक्षा प्रगतिशील सोच है।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]