किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी उत्तराखंड सरकार का ध्यान कृषि से जुड़े सबसे अहम पहलू की ओर अब गया है। यह है खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था। सरकार ने ‘कम सिंचाई और अधिक पैदावार’ के मूलमंत्र पर ध्यान केंद्रित कर सिंचाई के लिए इजराइली तकनीक अपनाने की ठानी है। असल में इजराइल का सूक्ष्म टपक सिंचाई का मॉडल पूरी दुनिया में विख्यात है। देश में भी गुजरात, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में इसे अपनाया गया है और इसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में यह तकनीक अधिक कारगर हो सकती है, जहां सिंचाई की सुविधा न के बराबर है। राज्य की कृषि व्यवस्था पर नजर दौड़ाएं तो वर्तमान में कृषि का रकबा सात लाख हेक्टेयर है। केवल 3.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई की सुविधा है, जिसमें 85 प्रतिशत हिस्सा मैदानी और 15 फीसद पर्वतीय है। साफ है कि पर्वतीय हिस्से में खेती पूरी तरह वर्षा पर निर्भर है। ऐसे में वक्त पर बारिश हो गई तो ठीक, अन्यथा कई मर्तबा तो खेत से अगली फसल के लिए बीज जुटाना तक मुश्किल हो जाता है।

बावजूद इसके खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने की दिशा में राज्य गठन के बाद से ठोस उपाय करने की दिशा में पहल नहीं की गई। पर्वतीय क्षेत्र में कृषि से लोगों के विमुख होने की एक वजह सिंचाई साधनों का विकसित न हो पाना भी है। हालांकि, लंबे इंतजार के बाद मौजूदा राज्य सरकार ने प्रदेश में पारंपरिक तौर-तरीकों से वर्षा जल संरक्षण करने के साथ ही सिंचाई साधन विकसित करने का निश्चय किया है। मंशा ये है कि खाल-चाल (छोटे-बड़े तालाबनुमा गड्ढे) के जरिये बारिश की बूंदों को सहेजने से जलस्रोत तो रीचार्ज होंगे ही, वक्त पर इनमें जमा पानी का उपयोग खेती के लिए किया जा सकेगा। इसके अलावा डिप सिंचाई की सूक्ष्म तकनीक के जरिये खेतों में कम पानी से सिंचाई कर अधिक पैदावार ली जा सकती है। इसके लिए इजराइली तकनीक का अध्ययन करने को खुद राज्य के मुखिया और कृषि मंत्री इजराइल दौरे पर जाएंगे। फिर वहां की टपक सिंचाई के तौर-तरीकों को यहां भी धरातल पर उतारा जाएगा। निश्चित रूप से यह अच्छी पहल कही जा सकती है, बशर्ते इसके लिए ठोस कार्ययोजना तैयार कर इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जाए। साथ ही उन कारकों की भी गहराई से पड़ताल करनी होगी, जो अब तक राज्य में सिंचाई साधनों के विकास की राह में बाधक बनते आए हैं।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]