प्रेशर हॉर्न और मल्टी टोन (कई स्वर वाले) हॉर्न बजाने वालों का चालान करने के यातायात पुलिस के आदेश का स्वागत किया जाना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके बाद राजधानी में ध्वनि प्रदूषण का स्तर काफी हद तक कम हो सकेगा। अचानक किसी चालक के इर्द-गिर्द तेज आवाज में हॉर्न बजाने से संतुलन बिगड़ने के कारण होने वाले हादसों पर भी अंकुश लगेगा। साइलेंस जोन में हॉर्न बजाने वालों पर भी कार्रवाई की योजना बनाकर यातायात पुलिस ने यह बताना चाहा है कि इस तरह की मनमर्जी किसी भी स्थिति में वह सहन नहीं करेगी। अस्पताल या स्कूलों के आसपास हॉर्न बजाने से मरीजों व छात्रों को काफी परेशानी होती है। इससे पता चलता है कि दिल्ली यातायात पुलिस छात्रों की पढ़ाई में बाधा बनने वालों को किसी भी कीमत पर माफ नहीं करना चाहती है।

दरअसल, दिल्ली के कई इलाकों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल के दिनों में साइलेंस जोन में भी ध्वनि प्रदूषण मिला है। इसके पीछे के कारणों की पड़ताल करने पर यातायात पुलिस को पता चला कि सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाहनों के कारण होती है। इस कारण यातायात पुलिस ने प्रेशर हार्न वाले वाहनों पर कार्रवाई की योजना बनाई है। इसके तहत पहली बार पकड़े जाने पर 100 रुपये जबकि दोबारा पकड़े जाने पर 300 रुपये तक का चालान कटेगा। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नियम बना देने भर या फरमान जारी कर देने से ही यह रुक जाएगा।

ऐसा संभव नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि दिल्लीवाले खुद जागरूक हों। जब तक वे जागरूक नहीं होंगे तब तक इस पर रोक लगाना संभव नहीं है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि पिछले तीन महीने में गलत दिशा में वाहन चलाने वाले एक लाख से ज्यादा वाहन चालकों का चालान काटा गया। क्या ये चालक नहीं जानते थे कि वे अपने साथ-साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं। इन सबके बावजूद शॉर्ट कट अपनाने के चक्कर में वे गलत साइड पर वाहन चलाने से गुरेज नहीं करते। इसलिए जरूरी है कि यातायात पुलिस इन्हें जागरूक करने के लिए अभियान चलाए। रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को भी इसके लिए आगे आना चाहिए।

(स्थानीय संपादकीय दिल्ली)