राज्य सेवा भर्ती बोर्ड की ओर से आयोजित पटवारियों की परीक्षा के दौरान पूछे गए एक प्रश्न में पाकिस्तान कब्जे वाले क्षेत्र को आजाद कश्मीर लिखा होने को लेकर राजनीति गरमाना स्वाभाविक है। इसे भर्ती बोर्ड की घोर लापरवाही ही कहेंगे कि पेपर की जांच नहीं की गई और बिना सोचे-समझे ही पर्चे को परीक्षार्थियों में बांट दिया गया। बेशक भर्ती बोर्ड के चेयरमैन इसे गलती मान रहे हैं और उन्होंने इस प्रश्न को रद समझने की बात कही है, लेकिन राजनीतिक और अन्य संगठनों को बोर्ड ने मौका दे दिया है। यह एक पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान कब्जे वाले क्षेत्र को आजाद कश्मीर के रूप में दिखाया गया हो। कई बार बच्चों को पढ़ाई जाने वाले भूगोल की पुस्तकें हों या फिर जम्मू कश्मीर का नक्शा, इसमें कई बार ऐसी चूक हो चुकी है, जब पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र को आजाद कश्मीर लिखा गया है। यह दीगर बात है कि बाद में इन गलतियों को दुरुस्त कर लिया गया, लेकिन राष्ट्र विरोधी तत्वों को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने की शह मिल जाती है। इससे उन छात्रों का आत्मविश्वास भी कम होता है जो पूरी तैयारी के साथ पेपर देने पहुंचे होते हैं।

अगर भर्ती बोर्ड एक प्रश्न को रद मान कर सबको ग्रेस मार्क दे भी दे तो मेधावी छात्रों को इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा क्योंकि प्रतिस्पर्धा के युग में एक-एक नंबर मायने रखता है। गे्रस मार्क सभी को मिल गए तो फिर एक नंबर को लेकर मुकाबला बराबर हो गया। इससे तो लगता है कि भर्ती बोर्ड ने पेपरों की जांच ही नहीं की कि कौन सा प्रश्न सही है और कौन सा गलत। राज्य में पटवारियों के पेपर काफी अर्से बाद हुए हैं और बेरोजगारों को इस पेपर से काफी उम्मीदें हैं। इससे तो लगता है कि पेपर सेट करने वाला राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों से नावाकिफ है। इससे तो पेपर बनाने वाले की मानसिकता ही झलकती है और वह इसे बाकियों पर भी थोपने की कोशिश करता दिख रहा है। इसे एक चूक नहीं कह सकते। यह एक सोची-समझी साजिश का नतीजा है, जो पटवारियों के लिए पिछले दिनों आयोजित परीक्षाओं में दिखी। बोर्ड को भी चाहिए कि वह किसी भी परीक्षा को आयोजित करने से पहले प्रश्न पत्रों की जांच कर ले जिससे नेताओं को राजनीति करने का मौका न मिले।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]