झारखंड में सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षण, प्रशासनिक अधिकारी खुद क्लास लेंगे
मैट्रिक के साथ-साथ इंटर का भी रिजल्ट सुधारने की दिशा में हजारीबाग के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला द्वारा किए जा रहे प्रयास को बेहतरीन कहा जा सकता है।
सरकारी विद्यालयों में जब उपायुक्त, एसडीएम से लेकर जिले के बड़े-बड़े अधिकारी खुद क्लास लेंगे तो इसका सीधा असर रिजल्ट पर पड़ेगा जिससे सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षण भी बढ़ेगा।
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मैट्रिक के साथ-साथ इंटर का भी रिजल्ट सुधारने की दिशा में हजारीबाग के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला द्वारा किए जा रहे प्रयास को बेहतरीन कहा जा सकता है। रिजल्ट बेहतर हो और बच्चों को शत-प्रतिशत अंक हासिल हो, इसके लिए उन्होंने सौ अफसरों की एक टीम बनाई है। इस टीम में एसडीएम, प्रोबेशनर अधिकारी से लेकर अभियंता तक शामिल हैं। खुद को भी उन्होंने टीम में शामिल किया है। ये सौ अफसर पूरे हजारीबाग जिले के 118 विद्यालयों में परीक्षा तक बच्चों को पढ़ाएंगे। उन्होंने खुद स्कूल में कक्षा लेकर इस अभियान की शुरुआत की है। इसके पीछे उनका उद्देश्य मैट्रिक व इंटर के रिजल्ट में जिले की रैंकिंग में जबरदस्त उछाल लाने की है। उपायुक्त के इस कदम की निश्चित रूप से सराहना की जानी चाहिए। यह सब उपायुक्त की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है। जिस तरह से उन्होंने बच्चों का भविष्य संवारने और मैट्रिक और इंटर के रिजल्ट को बेहतर बनाने के लिए अनूठी पहल की है, ऐसी ही पहल राज्य के अन्य जिलों में भी संबंधित डीसी द्वारा की जाती तो निश्चित रूप से पूरे राज्य का रिजल्ट बेहतर होता और छात्रों का भविष्य भी उज्ज्वल होता। राज्य में सरकारी विद्यालयों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है।
अधिकतर सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। कुछ सरकारी स्कूलों को अगर छोड़ दें तो अधिकतर स्कूलों का प्रदर्शन निराश करनेवाला ही रहा है। यही कारण है कि सरकारी विद्यालयों के प्रति बच्चों व अभिभावकों का मोहभंग होता जा रहा है। ऐसे में इन सरकारी विद्यालयों में जब उपायुक्त, एसडीएम से लेकर जिले के बड़े-बड़े अधिकारी खुद क्लास लेंगे तो इसका सीधा असर रिजल्ट पर पड़ेगा और बेहतर रिजल्ट की स्थिति में अभिभावक और बच्चों में निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षण भी बढ़ेगा। ये अधिकारी सप्ताह में तीन दिन तय विद्यालय में जाकर कक्षाएं लेंगे और बच्चों की परीक्षा से जुड़ी परेशानियों को दूर करेंगे। बच्चे परीक्षा के पहले पूरी तरह से तैयार रह सकें इसके लिए सभी संबंधित अधिकारियों को मॉडल सेट पेपर उपलब्ध करा दिए गए हैं। इसके आधार पर ही बच्चों को परीक्षा की तैयारी उन्हें करवानी है। इसके साथ ही शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारी का भी अहसास कराना है। इस पहल से परीक्षा के पहले बच्चों की काउंसिङ्क्षलग तो होगी ही साथ ही शिक्षक भी सचेत होंगे।
[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]