किसान आंदोलन की आड़ में किस तरह छल-कपट का सहारा लेकर अफवाहों को हवा दी जा रही है, इसका प्रमाण है रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से जारी यह स्पष्टीकरण कि उसका अथवा उसकी किसी सहायक कंपनी का न तो अनुबंध खेती से कोई लेना-देना है और न ही अनाज की सीधी खरीद से। यह स्पष्टीकरण इसलिए जारी किया गया, क्योंकि एक अर्से से विभिन्न किसान संगठनों की ओर से यह शरारत भरा दुष्प्रचार किया जा रहा है कि नए कृषि कानूनों का सबसे अधिक लाभ अंबानी और अदाणी को मिलने वाला है। इस दुष्प्रचार से यह स्वत: साबित हो जाता है कि अपनी मांगों को लेकर अड़ियल रवैया अपनाए किसान संगठन किसानों को बरगलाने के लिए झूठ का सहारा लेने में भी संकोच नहीं कर रहे हैं। इससे भी शर्मनाक यह है कि इस दुष्प्रचार में विपक्षी दल और खासकर कांग्रेस भी बढ़-चढ़कर भाग ले रही है। यह और कुछ नहीं, संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों के फेर में राष्ट्रीय हितों को क्षति पहुंचाने वाली राजनीति है।

यह किसी से छिपा नहीं कि राहुल गांधी किस तरह कभी अंबानी-अदाणी के खिलाफ सस्ती जुमलेबाजी करते हैं और कभी इस झूठ को दोहराते हैं कि मोदी सरकार केवल अपने तीन-चार उद्योगपति मित्रों के लिए काम कर रही है। वह एक झूठ को सौ बार बोलकर उसे सच साबित करने के फार्मूले पर चलते दिख रहे हैं। यह उद्यमशीलता पर खतरनाक प्रहार ही नहीं, बल्कि उद्यमियों को खलनायक के तौर पर पेश करने की गंदी राजनीति भी है। वास्तव में यह वही शरारत भरी राजनीति है, जिसके जरिये वामपंथी दलों ने कोलकाता से लेकर कानपुर तक उद्योग-धंधों को चौपट करने का काम किया। यह एक विडंबना ही है कि जहां रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपने खिलाफ जारी झूठे अभियान पर स्पष्टीकरण जारी करने को विवश होना पड़ा, वहीं उसकी सहायक कंपनी जियो इंफोकॉम को इसके लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी कि उसके मोबाइल टावरों को तोड़फोड़ से बचाया जाए। उसे किसान आंदोलन की आड़ में हो रही इस तोड़फोड़ के खिलाफ अदालत का दरवाजा इसलिए खटखटाना पड़ा, क्योंकि पंजाब सरकार उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में ढिलाई का परिचय दे रही है। ध्यान रहे कि कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे पहले किसानों को सड़क पर उतारने का काम पंजाब में हुआ और उसमें राज्य सरकार की भी भूमिका रही। इससे खराब बात और कोई नहीं हो सकती कि जिस रिलायंस जियो इंफोकॉम के चलते देश में डिजिटल क्रांति आई और जिसकी वजह से दुनिया में सबसे सस्ती दरों पर डाटा उपलब्ध है, उसके खिलाफ खुली अराजकता दिखा रहे तत्वों पर लगाम नहीं लगाई जा रही है।