सीबीआइ और एनसीबी ने पुलिस के सहयोग से कई राज्यों में छापेमारी कर ड्रग्स की खरीद-बिक्री में लिप्त 175 लोगों को गिरफ्तार करने के साथ उनके पास से जिस तरह मादक पदार्थ और धन बरामद किया, उससे यही पता चलता है कि उन्होंने देश भर में अपनी जड़ें जमा ली हैं। इस तरह की छापेमारी का सिलसिला तब तक कायम रहना चाहिए, जब तक ड्रग्स तस्करों की कमर नहीं टूट जाती। इन तस्करों की कमर वैसे ही तोड़ी जानी चाहिए, जैसे बीते कुछ दिनों में आतंकी संगठन पीएफआइ की तोड़ी गई।

यह इसलिए आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है, क्योंकि ड्रग्स की बढ़ती खपत न केवल युवाओं को नशे का लती बनाकर उनका जीवन बर्बाद कर रही है, बल्कि अपराध तंत्र को फलने-फूलने का अवसर भी प्रदान कर रही है। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि अपराध तंत्र ने ड्रग्स को अपना नया हथियार बना लिया है। चूंकि इस अपराध तंत्र में माफिया और आतंकी संगठन भी शामिल हैं, इसलिए उनके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसी किसी कार्रवाई से ही उनके हौसले पस्त होंगे और आंतरिक सुरक्षा का परिदृश्य सुधरेगा। आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खतरा बने तत्वों के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति ही उनके दुस्साहस का दमन कर सकती है।

किसी भी देश में ड्रग्स तस्करों की सक्रियता आंतरिक सुरक्षा तंत्र के समक्ष कैसी गंभीर चुनौतियां खड़ी करती है, यह किसी से छिपा नहीं। न केवल ड्रग्स तस्करी के देशव्यापी नेटवर्क को ध्वस्त करना होगा, बल्कि उस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क पर भी लगाम लगानी होगी, जो भारत में मादक पदार्थ खपाने में लगा हुआ है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि बीते एक-डेढ़ साल में सीमावर्ती राज्यों और बंदरगाहों के साथ महानगरों में बड़ी मात्रा में ड्रग्स की उस खेप को पकड़ा गया है, जो बाहरी देशों से लाई गई थी।

इस नतीजे पर पहुंचना स्वाभाविक है कि बाहर से लाई गई ड्रग्स का एक हिस्सा देश के विभिन्न इलाकों में लोगों तक पहुंचा दिया गया होगा। बहुत संभव है कि गत दिवस आपरेशन गरुड़ के तहत की गई छापेमारी में ऐसे ही लोग गिरफ्तार किए गए हों। इन गिरफ्तार लोगों के जरिये उन तत्वों को निशाने पर लिया जाना चाहिए, जो बाहर और विशेष रूप से अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी देशों से ड्रग्स भारत ला रहे हैं।

उन कारणों का निवारण किया ही जाना चाहिए, जिनके चलते अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों ने भारत को अपना नया ठिकाना सा बना लिया है। इसकी आशंका है कि ड्रग्स तस्करों द्वारा नशीले पदार्थ भारत में खपाने के साथ उन्हें अन्य देशों में भी पहुंचाया जा रहा हो। भारत को ड्रग्स तस्करी का अड्डा किसी भी कीमत पर नहीं बनने देना चाहिए। ड्रग्स तस्करों पर लगाम लगाने के साथ यह भी आवश्यक है कि नशीले पदार्थों के खिलाफ लोगों और खासकर युवा पीढ़ी को जागरूक किया जाए।