दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट की यह टिप्पणी कि यदि मुख्यमंत्री के सामने किसी व्यक्ति पर हमला किया जा सकता है तो अन्य स्थानों पर क्या स्थिति होगी, वास्तव में चिंताजनक है। मुख्य सचिव मारपीट प्रकरण में आरोपित आप विधायक प्रकाश जारवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की है, जिस पर सरकार को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। मुख्य सचिव जैसे सूबे के सर्वोच्च अधिकारी से मुख्यमंत्री आवास में विधायकों द्वारा मारपीट करना अत्यंत गंभीर मसला है। इसके बाद सत्तारूढ़ दल के विधायकों का अधिकारियों को धमकाना उनमें असुरक्षा का भाव पैदा करने वाला है। मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब मुख्यमंत्री अधिकारियों को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने के बजाय मारपीट की घटना को ही नकारते नजर आते हैं।

इस प्रकरण में सरकार को जहां आगे बढ़कर अधिकारियों में व्याप्त भय का माहौल दूर करने का प्रयास करना चाहिए, वहीं वह अपने रुख पर कायम है। मुख्यमंत्री ने उन विधायकों को भी कोई नसीहत नहीं दी, जिन्होंने अधिकारियों को धमकाने की कोशिश की थी। ऐसे में सरकार और अधिकारियों के बीच टकराव जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है। बजट सत्र से पहले बनी यह स्थिति जहां दिल्ली सरकार के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है, वहीं बड़ी परियोजनाएं अटकने से जनता की परेशानी भी बढ़ सकती है। दिल्ली सरकार के सुचारु कामकाज के लिए गतिरोध जल्द दूर होना जरूरी है। अधिकारियों की सुरक्षा प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जानी चाहिए और यह भी देखा जाना चाहिए कि उनके सम्मान को किसी भी सूरत में ठेस न लगने पाए।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]