आखिरकार निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तिथियां घोषित कर दीं। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होंगे तो मणिपुर में दो चरणों में और पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में एक चरण में ही। नतीजे के लिए 10 मार्च का इंतजार करना होगा। निर्वाचन आयोग ने नामांकन और मतदान तिथियों की घोषणा करते ही 15 जनवरी तक चुनावी रैलियों, नुक्कड़ सभाओं, रोड शो, पदयात्रा आदि पर भी रोक लगा दी है। ऐसा करना आवश्यक था, क्योंकि कोरोना संक्रमण का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है।

संक्रमण फैलने की गति इतनी तेज है कि निर्वाचन आयोग को 15 जनवरी के बाद भी चुनाव प्रचार के परंपरागत तरीकों पर रोक लगानी पड़ सकती है। कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किए जाने में संकोच नहीं किया जाना चाहिए। बेहतर हो कि राजनीतिक दल इसके लिए तैयार रहें कि उन्हें 15 जनवरी के बाद भी डिजिटल चुनाव प्रचार पर निर्भर रहना पड़ सकता है। इसमें थोड़ी समस्याएं आ सकती हैं, क्योंकि डिजिटल चुनाव प्रचार की कुछ सीमाएं हैं। बावजूद इसके इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि इसके पहले भी बंगाल, तमिलनाडु आदि में राजनीतिक दल डिजिटल तरीके से चुनाव प्रचार कर चुके हैं।

यह भी किसी से छिपा नहीं कि आज हर दल इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय है। मजबूरी में ही सही, यदि डिजिटल चुनाव प्रचार की संस्कृति विकसित होती है तो यह उचित ही होगा। इससे न केवल दलों और जनता के समय एवं संसाधन की बचत होगी, बल्कि प्रशासन को रैलियों, रोड शो आदि के लिए जो तमाम प्रबंध करने पड़ते हैं, उनसे भी मुक्ति मिलेगी।जब डिजिटल तकनीक जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव ला रही है तो फिर चुनाव प्रचार की शैली भी बदलनी चाहिए। चूंकि चुनाव वाले पांच राज्यों में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश भी शामिल है इसलिए पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के मुकाबले उस पर सबसे अधिक दिलचस्पी होना स्वाभाविक है।

इसलिए और भी, क्योंकि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। यह भी उल्लेखनीय है कि चुनाव वाले पांच राज्यों में पंजाब को छोड़कर शेष चार में भाजपा सत्ता में है। कहां कितना कांटे का संघर्ष होता है, यह चुनाव नतीजे ही बताएंगे, लेकिन इतना तो है ही कि चुनाव प्रचार जनता से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रहे तो बेहतर। निर्वाचन आयोग को इसके प्रति सतर्क रहना होगा कि न तो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होने पाए और न ही किसी तरह की धांधली। उसे दुष्प्रचार करने वाले तत्वों से भी सावधान रहना होगा, क्योंकि डिजिटल संसार में ऐसे तत्व भी खूब हैं।