-----------------
फ्लैश---
सड़कों के पुननिर्माण में इंजीनियरों और ठेकेदारों को मानकों का उल्लंघन करने से बाज आना चाहिए। उन्हें यह सोचना चाहिए कि सड़कें नागरिकों के लिए बनती हैं और वे भी पहले नागरिक हैं। इस मामले मेंं विदेशों से सीख ली जाए जहां सौ वर्ष पहले जिस सड़क की जो ऊंचाई थी, वह आज भी है।
-----------------
सतह से तीन फीट ऊंची सड़क के निर्माण को लेकर एक बार फिर व्यवस्था हाईकोर्ट के कठघरे में है। बुधवार को भागलपुर में सड़कों के निर्माण में मानकों के उल्लंघन पर कोर्ट ने इंजीनियरों और ठेकेदारों के खिलाफ जो टिप्पणी की है, उससे शासन में बैठे उच्चाधिकारियों और मंत्री को स्वस्थ भाव से लेना चाहिए, दोषियों पर ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए जिससे सरकार की छवि पर कंकड़ के बराबर दाग भी न लग सके। कुछ साल पहले राजधानी पटना में सड़क निर्माण में ऐसी लापरवाही सामने आई थी, कई मोहल्लों में ऐसी सड़कें बनीं कि लोगों के मकान सड़क से दो-तीन फीट नीचे हो गए। भुक्तभोगी हाईकोर्ट पहुंचे तो यह व्यवस्था दी गई कि सड़कें मकानों से ऊंची ना बनाई जाएं। राजधानी में तो इसका अनुपालन हो रहा है, पर जिलों में मानकों का उल्लंघन कमाई के लिए अभियंताओं और ठेकेदारों के गठजोड़ को दर्शाता है। दरअसल, किसी पुरानी सड़क के निर्माण पर ईमानदारी से काम किया जाए तो ठेकेदारों की आमदनी बहुत कम हो जाती है, सही तरीके से काम पर पुरानी सड़क को खोदाई कर उखाडऩे के साथ मलबा और मिट्टी को बाहर करने में भारी- भरकम राशि खर्च होती है। पुरानी सड़क को पूरी तरह से उखाड़े बिना ढलाई पर ठेकेदार को मोटी कमाई होती है। जाहिर है कमाई अधिक होगी तो उसी अनुपात में इंजीनियरों को कमीशन भी ज्यादा मिलेगा। नीतीश सरकार चौतरफा विकास की मंशा संजोए है। सड़क निर्माण उसकी उच्च प्राथमिकता में है। सच यह है किसी भी राज्य मेंं विकास का ताना-बाना सड़कों को सुधारे बिना नहीं बुना जा सकता। दस साल पहले बिहार में सड़कों की हालत किसी से छिपी नहीं थी। दूसरे राज्यों से कारोबारी और पर्यटक वाहनों से बिहार आने में हिचकते थे, लेकिन इस दिशा में हुए अद्भुत परिवर्तन होने से अब सभी प्रमुख जिले-शहर मुख्य मार्गों से जुड़ चुके हैं, सिंगल लेन रोड को डबल लेन-फोर लेन करने पर काम चल रहा है। मुख्यमंत्री के सात निश्चय पर बढ़ रही सरकार हर मोहल्ले-गांव में पक्की सड़कों को जाल बिछाने में सक्रिय है। इधर, एक अच्छी पहल यह हो रही है कि सरकारी कार्यों पर अवाम भी पैनी नजर रखने लगी है। जागरूकता का ही परिणाम है कि भागलपुर में पटल बाबू रोड को सतह से तीन फिट ऊंची किए जाने का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया। कोर्ट ने विजिलेंस ब्यूरो के डीजी को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही डीजी एवं राज्य सरकार को एक महीने में जांच कराकर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]