प्रदेश में एक और गुड़िया विकृत मानसिकता की शिकार बन गई। अब नारनौंद में आठ साल की मासूम बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म किया गया। इन घटनाओं ने प्रदेश में बेटियों की सुरक्षा के प्रति चिंता बढ़ा दी है। हाल के दिनों में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ी हैं और मासूम बच्चियों को निशाना बनाया जा रहा है। उससे भी खौफनाक पहलू यह है कि इन वारदात में आरोपित अधिकतर किशोर ही होते हैं और वह भी पीड़िता के परिवार के करीबी। अर्थात नई पीढ़ी में फिसलन तेजी से बढ़ी है। हिसार के उकलाना के गुड़िया कांड में भी किशोर ही आरोपी पाया गया और वह भी पड़ोसी। अन्य जिलों में हुई घटनाएं भी कुछ ऐसे ही खतरनाक संकेत की पुष्टि कर रही हैं।

यह घटनाएं हमें डरा रही हैं और बेटियों की सुरक्षा के प्रति सचेत भी कर रही हैं। चिंता इस बात की भी करनी होगी कि हमारी सोच और मानवीय मूल्यों में तेजी से गिरावट आ रही है। प्रदेश सरकार ने 12 साल से कम आयु की बच्ची से दुष्कर्म पर मृत्यु दंड का प्रावधान किया है। बावजूद इसके यह मामले थम नहीं रहे हैं। चूंकि इस समस्या की जड़ में सामाजिक विकृति है और समाज के भीतर से इसका समाधान खोजा जाना होगा। कानून केवल कड़ी सजा से कुछ भय पैदा कर सकता है। कुछ लोगों की वजह से पूरे समाज को कलंक ङोलना पड़ रहा है। आवश्यक है ऐसे तत्वों की हम स्वयं नजर रखें और बेटियों के प्रति संवेदनशील बनें। परिवार की जिम्मेवारी सबसे अहम है। घर से मिली संस्कारों की सीख इंसान को संबल प्रदान करती है और आगे बढ़ने का आधार भी प्रदान करती है। हम संस्कारों का आधार और मजबूत करें तभी ऐसे कलंक से समाज को बचा पाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]