जॉर्ज फ्लॉयड नामक एक अश्वेत व्यक्ति की पुलिस के हाथों मौत के बाद अमेरिका में जो हालात बने वे विश्व समुदाय को भी चिंतित करने वाले हैं। पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने वाले अमेरिका के लिए इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन से दो-चार हुए उसके शहर अब कर्फ्यू का सामना कर रहे हैं। अमेरिका के हालात उसकी प्रगति पर प्रश्नचिन्ह लगाने और साथ ही उसकी प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े करने वाले हैं। यदि पुलिस की बर्बरता के विरोध में अमेरिका के विभिन्न शहरों में उग्र प्रदर्शन के साथ हिंसा का सिलसिला थमने के बजाय बढ़ता ही दिख रहा है तो इसकी एक बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रवैया है।

जब उन्हेंं अश्वेत समुदाय की भावनाओं को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए थी तब उन्होंने अपनी आदत के मुताबिक भड़काने वाले बयान दागे। इससे माहौल बिगड़ा और करीब-करीब पूरा अमेरिका हिंसक प्रदर्शनों की चपेट में आ गया। अमेरिकी राष्ट्रपति का रवैया सही नहीं, इसे वहां की जानी-मानी हस्तियों के साथ कुछ पुलिस अधिकारी भी बयान कर रहे हैं। कायदे से अमेरिकी राष्ट्रपति को अपने उन पुलिस कर्मियों से कुछ सीख लेनी चाहिए जिन्होंने अश्वेत समुदाय से माफी मांगी। इसके साथ ही उन्हेंं यह भी समझना चाहिए कि उनके शासनकाल में श्वेत चरमपंथियों की सक्रियता और साथ ही उनका दुस्साहस बढ़ा है। ट्रंप को इस पर लगाम लगानी ही होगी, अन्यथा अमेरिका में नस्ली भेदभाव की समस्या गहराने के साथ ही सामाजिक खाई भी बढ़ेगी।

हालांकि अमेरिका के अश्वेत समुदाय ने पुलिस की अनावश्यक सख्ती और नस्ली भेदभाव के खिलाफ पहले भी सड़कों पर उतरकर अपना रोष-आक्रोश व्यक्त किया है, लेकिन इस बार वह कहीं अधिक उग्र है। यह उग्रता यही बताती है कि अश्वेत समाज अपने खिलाफ होने वाले अन्याय से आजिज आ गया है। अमेरिकी शासन-प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा कि आखिर अश्वेत समुदाय नस्ली भेदभाव से मुक्त क्यों नहीं हो पा रहा है? दुनिया भर को समता और बंधुत्व का उपदेश देने वाला अमेरिका यह क्यों नहीं देखता कि आखिर उसकी अपनी धरती पर इन मानवीय मूल्यों की अनदेखी कैसे हो रही है?

नि:संदेह अन्याय के प्रतिकार के नाम पर अराजकता और लूट निंदनीय है। अन्याय के विरोध में हिंसा का सहारा लेने वाले एक किस्म का अत्याचार ही कर रहे होते हैं, लेकिन यह अमेरिकी प्रशासन को ही देखना होगा कि विरोध के बहाने हिंसा करने और उन्हें शह देने वाले कौन हैं? उसे यह भी समझना होगा कि दुनिया की समस्याएं हल करने के साथ ही उसे अपनी भी कुछ समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर करने की जरूरत है।