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यात्रा को लेकर छाए उत्साह और उल्लास के बीच शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। यात्रा निरापद रहे और श्रद्धालु सुखद संदेश लेकर वापस लौटें।

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वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद पसरे सन्नाटे का दौर बीत चुका है। पांच साल के वक्फे में उस दु:स्वपन की टीस भले ही आज भी सालती रही हो, लेकिन पहाड़ सी जीवटता एक बार फिर जीत गई और हालात न केवल बदले, बल्कि बेहतर हो गए हैं। यही वजह है कि बुधवार से शुरू होने वाली चार धाम यात्रा को लेकर प्रदेश में उत्साह का माहौल है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार श्रद्धालुओं की तादाद पहले से कहीं ज्यादा होगी। जाहिर है श्रद्धालुओं का भरोसा लौटाने में एकबार फिर केदारनाथ की अहम भूमिका रही है।

केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष फोकस रहा है। वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद से वह स्वयं चार बार केदारनाथ का दौरा कर चुके हैं। इतना ही नहीं, पुनर्निर्माण कार्यों पर बारीकी से निगाह रख रहे प्रधानमंत्री समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट भी ले रहे हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी भी पैदल केदारनाथ पहुंचे तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी बाबा केदार के दर्शनों को पहुंचे। जाहिर है श्रद्धालुओं पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा। सुरक्षा की भावना बलवती हुई तो चार धाम की यात्रा पर आने वालों की तादाद साल-दर-साल बढ़ती चली गई। निसंदेह ऑल वेदर रोड के अस्तित्व में आने के बाद यात्रा सुरक्षित होने के साथ ही सुहानी भी होगी। यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में किस कदर उत्साह है इसका पता ऑन लाइन बुकिंग से भी चलता है।

बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में अधिकतर होटल और धर्मशालाओं अस्सी फीसद बुकिंग अग्रिम हो चुकी है। इतना ही नहीं नंदा देवी और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के अफसर भी पर्यटकों की संख्या बढऩे की उम्मीद कर रहे हैं। इन पार्कों में फूलों की घाटी और गोमुख व नेलांग जैसे स्थल आते हैं। वर्ष 2017 में फूलों की घाटी पहुंचने वाले यात्रियों की तादाद भी सर्वाधिक रही थी। साफ है कि उत्साह के ऐसे माहौल में सरकार, शासन और प्रशासन पर भी जिम्मेदारियों और अपेक्षाओं का बोझ बढ़ गया है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि यात्रा के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। केदारनाथ में यात्रियों के ठहरने के लिए क्षमता बढ़ाई गई है। चारों धामों की मंदिर समितियों ने भी विशेष तैयारियां की हैं। बावजूद इसके यात्रा में मौसम का मिजाज बड़ी चुनौती बनता रहा है। यह सही है ऑल वेदर रोड की कटिंग का काम 30 अप्रैल से बंद कर दिया जाएगा, लेकिन बरसात के मौसम में भूस्खलन जोन सक्रिय होने पर हालात को नियंत्रित करने की योजना अभी से बन जानी चाहिए। प्रयास यह रहे चार धाम यात्रा से लौटने वाला यात्री सुखद संदेश लेकर जाए।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]