सभी राज्यों के पुलिस बलों के साथ अर्द्धसैनिक संगठनों के प्रमुखों की वार्षिक बैठक में जिन विषयों पर विस्तार से चर्चा होने की आशा है, उनमें प्रमुख हैं साइबर सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी और सीमा पार से उभरते खतरे। यह स्पष्ट ही है कि इसके अतिरिक्त खालिस्तानी तत्वों की सक्रियता और नक्सली संगठनों की गतिविधियों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। वास्तव में इस बैठक में हर उस गतिविधि का संज्ञान लिया जाना चाहिए, जो आंतरिक सुरक्षा के समक्ष चुनौती पैदा करती है। आम तौर पर जब कभी आंतरिक सुरक्षा को लेकर चर्चा होती है तो आतंकवाद, उग्रवाद, नक्सलवाद आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

निःसंदेह यह आवश्यक है, लेकिन इसी के साथ यह भी जरूरी है कि कानून एवं व्यवस्था को चुनौती देने वाली प्रत्येक गतिविधि पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए। ऐसा किया जाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जो तत्व प्रारंभ में कानून एवं व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी करते हैं, उनमें से कुछ बाद में आंतरिक सुरक्षा को भी चुनौती देने लगते हैं। इसका उदाहरण हैं वे गैंगस्टर, जो देश विरोधी ताकतों के इशारे पर काम कर रहे हैं। कई तरह के माफिया भी यह काम करते हैं। इनमें मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी करने वाले प्रमुख हैं। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि नक्सली संगठनों तक हर किस्म के आधुनिक हथियार पहुंचाने का काम संगठित अपराध में लिप्त तत्व ही कर रहे हैं।

आंतरिक सुरक्षा पर आयोजित सम्मेलन में इस पर भी चर्चा आवश्यक है कि पुलिस छोटे समझे जाने वाले अपराधों पर भी उतनी ही गंभीरता से ध्यान दे, जितना वह बड़े अपराधों पर देती है। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि आम तौर पर उसका ध्यान संगीन अपराधों पर रहता है। इसका परिणाम यह होता है कि छोटे अपराध करने वाले तत्वों का दुस्साहस बढ़ता है और फिर वे कानून एवं व्यवस्था के लिए चुनौती बनकर आंतरिक सुरक्षा के परिदृश्य को बिगाड़ने का काम करते हैं। जब ऐसा होता है तो आम आदमी की चिंताएं तो बढ़ती ही हैं, पुलिस और राज्य सरकार की छवि भी प्रभावित होती है।

समझना कठिन है कि पुलिस सामान्य अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी क्यों करती है? यदि रिपोर्ट दर्ज भी हो जाती है तो मामले की छानबीन में उदासीनता बरती जाती है। इससे आम आदमी का पुलिस पर भरोसा घटता है। पुलिस जिस तरह सामान्य अपराधों को गंभीरता से नहीं लेती, उसी तरह वह सड़कों पर अतिक्रमण और सरकारी अथवा गैर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों की भी अनदेखी ही अधिक करती है। लोग यातायात नियमों का पालन करें, यह भी पुलिस की प्राथमिकता में मुश्किल से ही होता है। उचित यह होगा कि आंतरिक सुरक्षा सम्मेलन में पुलिस के काम करने के तौर-तरीकों पर गंभीरता से चर्चा हो। इससे ही आंतरिक सुरक्षा का माहौल बेहतर होगा।