खुशी की बरात के दुख के साथ फेरे रामपुर का एक गांव अभी भुला भी नहीं पाया था कि मंडी में लापरवाही और मानवीय भूल ब्यास को लाल कर गई। हादसे देशभर में होते हैं और पहाड़ी राज्य हिमाचल भी अपवाद नहीं है लेकिन यहां की सर्पीली सड़कें रोज रक्तरंजित हो रही हैं। कई परिवारों को ऐसे जख्म मिल रहे हैं जो ताउम्र नहीं भर सकते। हाल में बद्दी जैसे मैदानी क्षेत्र में कार-बस की टक्कर में हुई दो लोगों की मौत का मामला हो या मंडी के पास शनिवार को निजी बस के ब्यास में गिर जाने से हुई 17 लोगों की मौत की दुखद घटना, लापरवाही जख्म दे रही है। ऐसा नहीं है कि दुर्गम क्षेत्रों की खस्ताहाल सड़कें ही हादसों का कारण बन रही हैं, इसमें मानवीय भूल व लापरवाही भी जिम्मेवार है। हादसा हमेशा किसी न किसी पक्ष की लापरवाही से ही होता है। ब्लैक स्पाट पर कहीं चेतावनी बोर्ड नहीं हैं तो कहीं पैरापिट गायब हैं। वाहनों की तेज रफ्तार व यातायात नियमों की अवहेलना भी हादसों का कारण बनती रही है। त्रसद पक्ष यह है कि लोग अपनी व दूसरों की जान की परवाह किए बिना यातायात नियमों की अवहेलना करते हैं। आखिर कितने हादसे चाहिए इस तथ्य को समझने के लिए कि बचाव में ही बचाव है। हादसों के लिए बाहरी कारक ही नहीं गैर जिम्मेदाराना आचरण भी एक पक्ष है। संबंधित विभाग और सड़क निर्माण में जुटी कंपनियों के साथ-साथ वाहन चालक सचेत रहें तो हादसों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। लोगों को भी अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही सचेत होना होगा। यातायात नियमों का पालन करने से उनकी ही जान सुरक्षित रहेगी। राज्य में बढ़ते सड़क हादसों को रोकने व उनका असर कम करने के लिए सभी पक्षों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। लोक निर्माण विभाग को चाहिए कि सड़कों की दशा सुधारे और दुर्घटना की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं। यही समय है कि विभिन्न हादसों के बाद गठित समितियों या जांच रपटों के निष्कर्षो पर बात हो। यही वक्त है जब मई में कांगड़ा में सड़क सुरक्षा पर राज्यों के परिवहन मंत्रियों के मंथन से कुछ निकले। प्रदेश के परिवहन मंत्री जीएस बाली का सड़क सुरक्षा को पाठयक्रम से जोड़ने का इरादा हकीकत बना तो संभव है कि सड़कों का सफर हादसों का सफर न बने। हादसा किसी भी जीवन को वस्तुत: तोड़ कर रख देता है। इसमें संदेह कहां है कि शासन, प्रशासन और समाज ही मिल कर सड़क हादसों को नकेल सकते हैं। उम्मीद है सब जागेंगे और हादसों की हवा से जीवन को सुरक्षित रखेंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]