बाबा अमरनाथ की आठ जून से शुरू हो रही पवित्र तीर्थ यात्रा की अवधि इस साल 60 दिन किए जाने से अधिक से अधिक श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे। यह यात्रा 28 जून से शुरू होकर 26 अगस्त रक्षाबंधन वाले दिन संपन्न होगी। यह अच्छी बात है कि यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण पहली मार्च से शुरू हो जाएगा। अमरनाथ श्राइन बोर्ड की दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एवं अमरनाथ श्राइन बोर्ड के चेयरमैन एनएन वोहरा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। वर्ष 2017 में यात्रा की अवधि से 40 दिन निर्धारित की गई थी, जिससे मुस्लिम बहुल क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में राजनीति गर्मा गई। इस वर्ष इसकी अवधि बीस दिन बढ़ा कर 60 दिन कर देशभर के श्रद्धालुओं को मौका दिया गया है कि वे इस यात्रा में शामिल हों और किसी को भी यह न लगे कि उन्हें इस यात्रा से वंचित रखा गया। विगत दिवस हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण कर फैसले लिए गए, जिसमें यात्रा के आधार शिविर पहलगाम के नुनवान क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का फैसला लिया गया है। बोर्ड ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिए हैं। इस कार्य को तीन माह में पूरा कर लिया जाएगा। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से पर्यटन स्थल पहलगाम को साफ सुथरा रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

अक्सर लोग इस बात को मुद्दा बनाते हैं कि पहलगाम में बहने वाली नदी लिद्दर को साफ रखने के लिए बोर्ड कोई ठोस कदम नहीं उठाता है। पहलगाम मार्ग से करीब ढाई लाख श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पहलगाम और बालटाल मार्ग से लगभग पांच लाख श्रद्धालु हर साल पवित्र शिवलिंग के दर्शन करते हैं। देशभर में जम्मू-कश्मीर बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और येस बैंक की 437 शाखाओं में एडवांस पंजीकरण की सुविधा होगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि श्रद्धालुओं के लिए यात्रा मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। यहां पर तीर्थयात्रियों के लिए सभी सुविधाएं होंगी, जिससे इस ग्लेशियर से गुजरने वालों को कोई दिक्कत न आए। पहलगाम और बालटाल के दोनों रास्तों से रोजना 15 हजार श्रद्धालुओं को रवाना किया जाएगा। यह अच्छी बात है कि इसमें हेलीकॉप्टर से जाने वाले श्रद्धालु शामिल नहीं होंगे। तीर्थ यात्रा करने के लिए 13 वर्ष से कम और 75 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी। बोर्ड को अभी से श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से सहयोग लेना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]