पंजाब पुलिस ने यह अच्छा प्रावधान किया है कि एफआइआर में यह कालम जोड़ा जाए कि हादसों में मारे गए दोपहिया सवारों ने हेलमेट पहना था या नहीं। अक्सर देखा गया है कि दोपहिया वाहनों के हादसों में ज्यादातर मौतें इसी वजह से होती हैं क्योंकि उस पर सवार लोगों ने हेलमेट नहीं पहना होता। युवा वर्ग इसे अपनी शान के खिलाफ समझता है। यह झूठी शान कब जान पर बन आए पता नहीं। दैनिक जागरण ने तो इस सिलसिले में पंजाब पुलिस के साथ मिलकर व्यापक अभियान भी चलाया है। यह बड़ी विचित्र बात है कि पंजाब में हेलमेट न पहनने वाले या सीट बेल्ट न लगाने वाले लोग चंडीगढ़ में सख्ती के चलते वहां प्रवेश होने से पहले ही तमाम नियमों का पालन करने लगते हैं। इसलिए पुलिस की सख्ती तो जरूरी है ही लेकिन यह भी सही है कि सख्ती ही सब कुछ नहीं, इसके लिए लोगों में जागरूकता होना भी जरूरी है। सिर्फ हेलमेट के लिए ही नहीं अन्य कारणों को लेकर भी संजीदा होना पड़ेगा। न केवल लोगों को बल्कि पुलिस को भी। इसके लिए पुलिस ने अच्छी पहल की है, उम्मीद है कि इसके अच्छे नतीजे आएंगे। साथ ही यह अपेक्षा भी कि इसी के साथ ही और कारगर कदम भी उठाए जाएंगे।

अच्छा होगा कि जिस तरह पुलिस ने हादसे के कारणों में हेलमेट का कॉलम शामिल किया है, उसी तरह हर हादसे के कारण का ही एक कॉलम बना दिया जाए जिनमें नशे का सेवन, खराब सड़क या तेज रफ्तार प्रमुख कारण रहें। जब यह पता चल सकेगा कि ज्यादातर हादसों की वजह क्या है तो उसी के मुताबिक कोई एक्शन प्लान बनाया जा सकेगा। इससे शायद हादसों में कमी आए। यह किसी से छिपा नहीं है कि पंजाब में नशे के कारण भी कई हादसे होते हैं। तेज रफ्तार तो एक बड़ा कारण है ही। यह सब कारण वाहन चालकों की लापरवाही के हैं, जिसका हल उन्हीं के पास है। हां, कई बार सड़कों की बदहाली, उन पर पड़े गड्ढों की वजह से भी जानलेवा हादसे होते रहे हैं। अगर यह भी आंकड़ा मिल जाए कि सड़कों की खस्ताहालत से कितने हादसे हुए हैं तो सरकार को भी हालात की गंभीरता का सही-सही पता चल सकेगा। मकसद यही है कि यह हालात बदलने चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]