राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड की बारहवीं कक्षा के वार्षिक परिणाम में एक बार फिर से बेटियों ने यह साबित कर दिया कि सफलता उनके कदमों में है। कुल साठ पोजीशनों में से बेटियों का पैंतीस पोजीशन पर कब्जा रहा। इस बार साइंस विषय में सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल शास्त्री नगर और होम साइंस में मुबारक मंडी हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रओं ने प्रथम स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया कि सरकारी स्कूल भी किसी से कम नहीं है। बशर्ते की इन स्कूलों में मूलभूत ढांचा उपलब्ध हो। इसमें कोई दोराय नहीं है कि शहरों के सरकारी स्कूलों में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। इसका एक बड़ा कारण शिक्षा विभाग के आला अधिकारी यहां बैठते हैं और इन स्कूलों पर मंत्री से लेकर शिक्षा निदेशक की नजर इन पर रहती है लेकिन शहर के बाहरी और ग्रामीण अंचल में स्थिति बिलकुल विपरीत है। इन स्कूलों में संसाधनों का अभाव है। शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को मनपंसद विषय पढ़ने का मौका नहीं मिलता। कुछ स्कूलों में शिक्षक न के बराबर हैं तो कहीं शिक्षक अधिक हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार को शिक्षकों की तबादला नीति में पारदर्शिता लानी होगी।

सरकार का यह दायित्व है कि वह हर बच्चे को शिक्षा उपलब्ध करवाए। दूरदराज क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में पर्याप्त ढांचा न होने का लाभ निजी स्कूल भी उठा रहे हैं। यही कारण है कि निजी स्कूलों का परिणाम सरकारी स्कूलों की अपेक्षा बेहतर आता है। इससे कहीं न कहीं अभिभावकों का विश्वास भी सरकारी स्कूलों के प्रति कम हो रहा है। यह विश्वास तभी बहाल होगा जब सरकारी स्कूलों में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होंगे। इसमें कोई दोराय नहीं कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक प्राइवेट स्कूलों की अपेक्षा अनुभवी हैं लेकिन सरकारी स्कूल के शिक्षक चाहते हैं कि उन्हें घर के पास ही स्कूल मिले और दूरदराज इलाकों में न जाना पड़े। शिक्षकों को भी चाहिए कि वे इस मानसिकता से ऊपर उठें और गुरु -शिष्य की परंपरा को समझते हुए शिक्षा की लौ को बरकरार रखें। शिक्षक ही राष्ट्र निर्माण कर सकता है। अगर सभी शिक्षक निष्ठा और ईमानदारी से इस लौ को जलाए रखें तो वह दिन दूर नहीं जब इन स्कूलों का कायाकल्प संभव होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]