जम्मू-कश्मीर के एडीजीपी विजय कुमार का यह दावा स्थितियों में बुनियादी बदलाव की पुष्टि करता है कि राज्य के तीन जिलों बांदीपोरा, कुपवाड़ा और गांदरबल में स्थानीय आतंकियों की गतिविधियां खत्म हो गई हैं। इन तीन जिलों को आतंकवाद से मुक्त किया जाना इसलिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि एक समय ये जिले और विशेष रूप से कुपवाड़ा आतंकियों के गढ़ के रूप में जाना जाता था।

आशा की जाती है कि जैसे इन तीन जिलों को आतंकवाद से मुक्ति दिलाई गई, वैसे ही शेष जिलों में भी आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में सफलता मिलेगी। यह आशा इसलिए की जा रही है, क्योंकि जल्द ही पूरे कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करने की बात की जा रही है और पिछले कुछ समय में एक बड़ी संख्या में स्थानीय और साथ ही सीमा पार से आतंकियों को मार गिराने में सफलता मिली है। इसका एक प्रमाण एडीजीपी विजय कुमार के इस कथन से मिलता है कि अब कश्मीर में लश्कर और जैश के कोई आतंकी सरगना नहीं बचे हैं।

आतंकियों को चुन-चुनकर मारने में मिल रही सफलता के बाद भी उनका पूरी तौर पर खात्मा करने के लक्ष्य को वास्तव में प्राप्त किया जा सके, इसके लिए सुनियोजित रणनीति पर काम करने की आवश्यकता है। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि अतीत में कई बार ऐसे हालात बने, जब कश्मीर में आतंकवाद दम तोड़ता दिखा, लेकिन उसने फिर सिर उठा लिया।

यद्यपि अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद घाटी में आतंकियों के दबे-छिपे समर्थकों की कमर तोड़ दी गई है, लेकिन उनके फिर से सक्रिय होने की आशंका तो है ही। ध्यान रहे कि इधर हाइब्रिड आतंकियों की एक नई जमात पैदा हो गई है। इसी तरह यह भी एक तथ्य है कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद फैलाने की कोशिश में अभी भी जुटा है।

वह न केवल अपने यहां प्रशिक्षित आतंकियों की कश्मीर में घुसपैठ कराने की चेष्टा करता है, बल्कि स्थानीय आतंकियों के लिए ड्रोन से हथियार भी भेजता रहता है। यह समझा जाना चाहिए कि कश्मीर को आतंकवाद से तब तक मुक्त नहीं किया जा सकता, जब तक पाकिस्तान वहां हस्तक्षेप करने में समर्थ बना रहता है। पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन-संरक्षण देने से बाज आए, इसके लिए उस पर नए सिरे से दबाव बनाने की आवश्यकता है।

पाकिस्तान अपनी हरकतों से तब बाज आएगा, जब उसे यह संदेश दिया जाएगा कि उसे कश्मीर में आतंक और अशांति फैलाने की कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत को तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिए, जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकियों के अड्डे कायम किए रहता है। हाल में प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को नीतिगत स्तर पर समर्थन देने वाले देशों को जो चेतावनी दी, उसका ऐसे देशों पर असर दिखना ही चाहिए।