शिक्षा के प्रचार-प्रसार में रुचि रखनवाले हर किसी को पूर्वी सिंहभूम से आई यह खबर हैरान-परेशान करती है। इस इलाके के 88 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर दिया गया है। हैरानी की बात यह कि इस त्रासद फैसले पर कहीं से कोई सवाल भी नहीं उठाया गया। लगा हर तबके के लिए यह सामान्य बात है। विचारणीय सवाल यही है कि आखिर यह स्थिति आई कैसे? क्यों सरकारी स्कूलों से बच्चे दूर होते जा रहे? क्या इलाके में जन्मदर इस कदर घट गई कि स्कूलों में बच्चों की संख्या कम पडऩे लगी? वैसे जनसंख्या के आंकड़े तो इस सिद्धांत की तस्दीक नहीं करते। विभागीय स्तर पर शिथिलता, सरकारी स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर और अभिभावकों का अंग्र्रेजी माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की बढ़ती ललक स्पष्ट तौर पर इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के लिए जिम्मेदार है। एक भयानक संकेत यह है कि अभी करीब एक सौ विद्यालय इसी तरह से इतिहास का अंग बनने की ओर अग्र्रसर किए जा रहे।

प्राथमिक शिक्षा किसी भी बच्चे के भविष्य का आधार होती है। इस दौरान बच्चे जो कुछ सीखते हैं वही शिक्षा एक तरह से उनके आगे बढऩे में रीढ़ बनती है। विडंबना यह है कि इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा। सरकार के स्तर से स्कूली शिक्षा के विकास के नाम पर फंड को जारी कर दिया जा रहा लेकिन उस पैसे का कितना सदुपयोग हो पा रहा, इसे देखने व जरूरी कदम उठाने की मशीनरी प्रभावी तरीके से काम नहीं कर रही। सरकारी प्राथमिक स्कूलों से बच्चों या अभिभावकों के मोहभंग होने का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई की गुणवत्ता का ह्रïास होना है। सुदूर इलाकों की बात तो छोड़ ही दें शहरी इलाकों में भी शिक्षक समय से स्कूल नहीं जाते और जाते भी हैं तो पठन-पाठन पर अपेक्षित ध्यान नहीं दे पाते। विभागीय स्तर पर इसकी मुकम्मल तरीके से निगरानी नहीं हो पाती। नतीजतन सरकारी प्राथमिक स्कूल एक तरह के मिड डे मील योजना के क्रियान्वयन केंद्र में तब्दील होकर रह गए हैं। इसलिए जरूरी है कि इस विरासत को बचाने के लिए सरकार, शिक्षा विभाग, शिक्षक और अभिभावकों के स्तर से संवेदना के साथ गंभीर पहल हो। तभी अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों के मायाजाल में फंसने से बचाया जा सकेगा और सरकारी स्कूलों को बंद होने की अप्रिय खबर सुनने से मुक्ति मिलेगी।

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हाइलाइटर

पूर्वी सिंहभूम में 88 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर दिया गया है। विभागीय शिथिलता, सरकारी स्कूलों का गिरता स्तर और अंग्रेजी माध्यम की ललक इसकी मुख्य वजह है।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]