दिल्ली पुलिस की ओर से मुंबई के बंदरगाह में एक कंटेनर से बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ की बरामदगी यही बताती है कि देश में किस तरह विभिन्न रास्तों से बड़े पैमाने पर ड्रग्स भेजी जा रही है। इसके पहले गुजरात के बंदरगाह और पंजाब के साथ पूर्वोत्तर राज्यों के सीमांत इलाकों से भी हजारों करोड़ रुपये के मादक पदार्थों की खेप पकड़ी जा चुकी है। इस तरह की खेप पकड़े जाने का सिलसिला जिस तरह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, उससे न केवल यह स्पष्ट होता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों के निशाने पर है, बल्कि यह भी कि उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में अपने एजेंट बना लिए हैं।

यह ठीक है कि बाहर से आ रही नशीले पदार्थों की खेप लगातार पकड़ी जा रही है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या सारी खेप को देश में आने से रोका जा पा रहा है? आशंका यही है कि ड्रग्स तस्कर और उनके एजेंट पुलिस और नारकोटिक्स विभाग को चकमा देकर नशीले पदार्थों की अच्छी-खासी मात्रा देश के विभिन्न हिस्सों में खपा रहे होंगे। जब-तब इसके प्रमाण भी मिलते रहते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी किसी से छिपा नहीं कि किस तरह देश के विभिन्न शहरों में ड्रग्स पार्टियां होने लगी हैं।

चिंता की बात केवल यह नहीं कि ड्रग्स तस्करी के पीछे उन तत्वों का हाथ दिख रहा है, जो आतंकवाद अथवा अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त हैं, बल्कि यह भी है कि युवाओं तक ड्रग्स पहुंचाने का एक नेटवर्क बन गया है। जितना जरूरी इस नेटवर्क को ध्वस्त करना है, उतना ही उन तत्वों पर लगाम लगाना, जो विभिन्न रास्तों और माध्यमों से देश में ड्रग्स भेजने में लगे हुए हैं। यह आसान नहीं, क्योंकि यह काम अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान आदि देशों में सक्रिय ड्रग्स के वे बड़े तस्कर कर रहे हैं, जो भारत विरोधी तत्वों से मिले हुए हैं।

ड्रग्स तस्कर जिस तरह नित-नए तरीकों से नशीले पदार्थों की खेप भारत ला रहे हैं, उससे नारकोटिक्स विभाग के साथ पुलिस और अन्य एजेंसियों को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। इसके साथ ही समाज को भी सावधान रहना होगा, क्योंकि ड्रग्स तस्करी का एक उद्देश्य देश की युवा पीढ़ी को खोखला करना और उसके भविष्य को अंधकार में धकेलना भी है।

इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि पंजाब और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में ड्रग्स के चलन ने युवा पीढ़ी को किस तरह तबाह किया। यदि देश को ड्रग्स तस्करों की सक्रियता से बचाना है तो नशीले पदार्थों के सेवन के विरुद्ध अलख जगानी होगी। इसमें सफलता तभी मिलेगी, जब युवा पीढ़ी मादक पदार्थों के विनाशकारी प्रभाव को लेकर सचेत होगी। वह ड्रग्स के खतरे को लेकर सचेत हो, इसके लिए समाज के अन्य लोगों को भी अपने-अपने स्तर पर सक्रिय होना होगा।