नवनीत शर्मा, धर्मशाला। मंदिर हों, बाजार हों, घर हों या हों कार्यालय... रामलला का 500 वर्षीय वनवास समाप्त होने पर उत्सव की अनुभूति है। सनातन की चेतना के युगपुरुष श्रीराम वह भाव हैं, जिन्हें हर कोई अपने ढंग से अभिव्यक्त कर रहा है।

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के बहुत छोटे गांव घुमारड़ा में 22 जनवरी को 11000 दीये प्रज्वलित किए जाएंगे। यही श्रीराम का प्रकाश है। वह पूरे भारतवर्ष में है तो हिमाचल कैसे अछूता रहे जहां कुल्लू रियासत की लाज रखने स्वयं प्रभु रघुनाथ आए थे। क्योंकि श्रीराम सबके हैं, इसलिए प्रदेश कांग्रेस और सरकार की संयुक्त बैठक में भी श्रीराम आए।

सौगंध खाते हैं भाजपा को हराएंगे: उपमुख्यमंत्री

वास्तव में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बैठक में कहा- सौगंध राम की खाते हैं, भाजपा को चारों सीटों पर हराएंगे। यह और बात है कि प्रत्याशियों का दूर-दूर तक पता नहीं है। बैठक लोकसभा चुनाव पर रणनीति बनाने के लिए आयोजित की गई थी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तो पहले ही बता चुके हैं कि श्रीराम सबके हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी कहा कि सबकी श्रीराम में आस्था है और वह जब भी संभव होगा अयोध्याजी जाएंगे।

आलाकमान ने किसी को नहीं रोका अयोध्या जाने से 

प्रतिभा सिंह ने यह भी बताया कि आलाकमान ने किसी को रोका नहीं है अयोध्या जी तक जाने से। सच कहा, राजनीतिक बाड़बंदी अपनी जगह किंतु यह वही हिमाचल है जहां से पुरुषों की भागीदारी तो रही ही, महिलाओं ने भी रामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ में अपने आभूषण तक दान किए थे। सुना जाता था- जे सरया, सैह देई आए रामचंद्रा जो यानी जितना बन सका, उतना दे आए रामचंद्र जी को।

वही भाव ओडिशा की एक असाध्य रोग से पीड़ित बच्ची श्वेतपदम मिश्रा की श्रीराम को समर्पित कलाकृतियों में है जो पालमपुर के किसी मंदिर में श्रीराम को भजते गायक में है। वास्तव में जो बात कांग्रेस का आलाकमान नहीं समझ रहा, कुछ क्षेत्रीय क्षत्रप समझ रहे हैं।

लोक की चेतना के अटूट और अभिन्न अंग हैं श्रीराम

श्रीराम लोक की चेतना के अटूट और अभिन्न अंग हैं। क्या नाखून, मांस से अलग हो सकते हैं? रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी बना कर सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी को जाल में फंसा दिया है।

सुखविंदर सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री इस बात को समझते हैं कि लोगों को श्रीराम से अलग नहीं किया जा सकता। वीरभद्र सिंह के पुत्र और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह तो अयोध्या से आए न्योते के लिए प्रधानमंत्री मोदी, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आभार भी व्यक्त कर चुके हैं।

संयोग ही है कि इसी दौरान उनसे खेल एवं युवा सेवाएं विभाग वापस ले लिया गया और नए मंत्री यादविंद्र गोमा को दे दिया गया। कुछ विघ्नसंतोषियों का कहना है ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि विक्रमादित्य, अयोध्याजी के न्योते पर इतरा रहे थे। ऐसा है या नहीं, यह संबंधित लोग ही जानें किंतु मुख्यमंत्री ने ऐसा तर्क दिया जिसकी काट किसी के पास नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण के साथ युवा सेवाएं ठीक नहीं लगता।

श्रीराम आपके या मेरे नहीं बल्कि सबके हैं

लोक निर्माण के साथ तो इन्फ्रास्ट्रक्चर ही ठीक लगता है। इसी तरह श्रम एवं रोजगार जैसा विभाग स्वास्थ्य के साथ ठीक नहीं लगता। उसे उद्योग मंत्री के पास होना चाहिए। नया बनने वाले विभाग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को तकनीकी शिक्षा विभाग के साथ होना चाहिए और ऐसी ही योजना है।

इसका अर्थ यह हुआ कि आने वाले समय में कर्नल धनी राम शांडिल से श्रम एवं रोजगार विभाग वापस लिया जाएगा। जो हो, श्रीराम सबके हैं। राजनीतिक दल हों या व्यक्ति किसी को यह कहने का अधिकार नहीं है कि वह आपके राम हैं, और आपके राम मेरे नहीं हैं। श्रीराम तो सबके हैं।

आदि हिमानी चामुंडा पथ के दोषी कौन?

कतिपय विघ्पसंतोषी लाख प्रयास कर लें। लोक को उसकी चेतना से अलग नहीं किया जा सकता, इसका एक उदाहरण आदि हिमानी चामुंडा मंदिर पथ पर लगी सोलर लाइट वाले प्रकरण में मिला। चामुंडा नंदीकेश्वर धाम की पहाडि़यों पर स्थित मां आदि हिमानी चामुंडा को बीते कई वर्षों से विकसित करने का प्रयास चलता रहा। यह मंदिर वर्ष में आठ माह ही खुलता है।

पालमपुर के भाजपा विधायक प्रवीण कुमार ने यहां हेलीकाप्टर की उड़ान के प्रयोग भी किए थे। स्थानीय पंचायतों ने जनविकास सहयोग योजना के अंतर्गत 14 किलोमीटर पैदल पथ पर सोलर लाइटें लगाई। इनकी शिकायत की गई कि बिजली की तारों से भालू तंग होते हैं, वन संपदा को खतरा है। वन विभाग की सामंतवादी कारगुजारी देखें कि सोलर लाइट में बिजली की तारों की कल्पना भी कर ली।

लाइट को लेकर हुआ था तीखा विरोध

किसी ऊपर के स्तर से सरकारी चिट्ठी अरण्यपाल तक आई। अरण्यपाल ने लाइटें खोलने के लिए टीम भेजी। टीम के हाथ जब लाइटों तक नहीं पहुंचे तो लंबे डंडों से लाइटें तोड़ दी गईं। राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन सब एक हो गए और तीखा विरोध हुआ। धर्मशाला के कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा ने तो प्राथमिकी दर्ज करवा दी। विधायक के तीखे विरोध के बाद प्रशासन ने शासन को जगाया और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्थिति को समझ कर लाइट दोबारा लगाने के आदेश दिए।

पहले दिन 25 लाइटें जोड़ दी गईं। प्रश्न एक ही है कि ऐसी कार्रवाई किसी अन्य धर्मस्थल के बारे में संभव थी? यह वही वन विभाग है जो करोड़ों का खर्च आग बुझाने पर दिखाता है किंतु आग रुकती नहीं। वही वन विभाग, जिसके यहां खतरा बने पेड़ काटने की अर्जियां साहबों की फाइलों में गायब हो जाती हैं।