[ स्मृति ईरानी ]: महिलाओं की जिन समस्याओं की पूर्ववर्ती सरकारों ने सिर्फ बात की थी, मोदी सरकार ने उन्हें हल करने का बीड़ा उठाया और सामाजिक विकास का एक नया एजेंडा प्रभावी रूप से लागू कराया। इससे महिलाओं का जीवन न केवल सरल होगा, बल्कि उन्हें सामाजिक विकास की बागडोर अपने हाथ में लेने में भी मदद मिलेगी। मोदी सरकार के लिए सामाजिक विकास का एजेंडा बापू के ग्राम स्वराज के स्वप्न को धरती पर यथार्थ रूप में उतारने का एजेंडा है। मूलभूत सुविधाओं से वंचित भारतीय ग्राम पलायन की चपेट में थे। पुरुष वर्ग का शहरों या कस्बों में पलायन, पहले से ही सुविधाहीन ग्रामों की महिलाओं पर श्रम का असाध्य बोझ डाल रहा था।

मोदी ने खुले में शौच जैसी कुप्रथा को किया समाप्त, बढ़ाई महिलाओं की गरिमा

वर्ष 2014 में, भारत ने तब नया इतिहास रचा जब नीतिगत रूप से महिलाओं और लड़कियों के श्रम को कम करने और उन्हें उनकी सुविधा के लिए लक्षित सेवाएं प्रदान कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाने पर बल दिया जाने लगा। इस दिशा में पहला बड़ा कदम तब रखा गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवा सौ करोड़ भारतीयों का ध्यान खुले में शौच जैसी कुप्रथा को समाप्त करने की आवश्यकता की ओर आकर्षित किया ताकि हमारी महिलाओं की गरिमा और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सके।

भारत के सभी गांवों ने स्वयं को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया

विगत पांच वर्षों में स्वच्छ भारत क्रांति ने दस करोड़ से अधिक घरों में सुरक्षित स्वच्छता की सुविधा उपलब्ध कराकर ग्रामीण भारत की महिलाओं के जीवन को बदल दिया। वर्ष 2017 में, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के एक अध्ययन ने अनुमान लगाया था कि भारत के खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) गांवों में महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स अन्य गांवों की तुलना में बेहतर था। अक्टूबर 2019 तक, भारत के सभी गांवों ने स्वयं को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया।

घर में शौचालय होने से महिलाओं पर यौन अत्याचारों में आई कमी

हाल में अशोका विश्वविद्यालय और वर्जीनिया विश्वविद्यालय के एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि घर में शौचालय होने से महिलाओं पर यौन अत्याचारों में भी कमी आई है। स्वच्छ भारत के अतिरिक्त भी राजग सरकार द्वारा कई ऐसे कार्यक्रम चलाए गए जिनमें महिलाओं के कठिन परिश्रम को कम करने, उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने और उन्हें सम्मान दिलाने पर बल दिया गया। इन कार्यक्रमों में एक बड़ी बात यह थी कि महिलाओं को बदलाव का नेतृत्व करने के लिए सशक्त भी बनाया गया।

उज्ज्वला योजना से करोड़ों ग्रामीण महिलाओं को जहरीले धुएं से मिली मुक्ति

चूल्हे के जलावन की लकड़ी या उपलों के जलने से फैलने वाला धुआं ग्रामीण महिलाओं के फेफड़ों और आंखों को रोजाना नुकसान पहुंचाता था। उज्ज्वला योजना से करोड़ों ग्रामीण महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर से उन्हें इस जहरीले धुएं से मुक्ति मिली। पोषण अभियान का बड़ा लक्ष्य ही बच्चों, किशोरियों और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार लाना है ताकि जन्म के समय बच्चों में कम वजन, उनके विकास में रुकावट, उनके पोषण में कमी और किशोरियों में एनीमिया के मामलों में कमी आए।

स्वच्छ भारत मिशन- महिला राजमिस्त्रियों ने जल सुरक्षा सुनिश्चित करने की उठाई जिम्मेदारी

स्वच्छ भारत मिशन ने महिला राजमिस्त्रियों की एक फौज खड़ी की है, जिन्हें ‘रानी मिस्त्री’ के नाम से जाना जाता है। इन रानी मिस्त्रियों ने इस पुरुष-प्रधान कर्मभूमि में भी अपनी छाप छोड़ दी है। सदियों से हमारे देश में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हमारी महिलाओं ने अपने घरों की जल सुरक्षा सुनिश्चित करने की कठिन जिम्मेदारी उठाई है। हमारी माताओं-बहनों ने अपनी तकलीफों को नजरअंदाज करके अपने परिवारों की पानी की जरूरतों को पूरा किया है।

जल संकट के गहराने से मुश्किलें और बढ़ी

राजस्थान की प्रचंड गर्मी में, उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों में, पूर्वी महाराष्ट्र की पथरीली जमीनों पर भी, महिलाएं लंबी दूरी तय करती हैं और अपने परिवार के लिए पानी का प्रबंध करती हैं, मगर पिछले कुछ दशकों में जल संकट के गहराने से इन गुमनाम नायिकाओं के जीवन में मुश्किलें और बढ़ी हैं। विशाल और निरंतर बढ़ती आबादी और लगातार प्रदूषित हो रहे जल संसाधन, बदलते मौसम के पैटर्न और लगातार सूखे के साथ भारत के एक तिहाई से अधिक जिले अब जल संकटग्रस्त हैं। ये ऐसे जिले हैं जहां भूजल स्तर ‘अति-गंभीर’ स्थिति में हैं। इसका अर्थ यह है कि इन जिलों में पानी लाना अब और कठिन हो गया है, क्योंकि जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में एक ग्रामीण महिला औसतन 2.5 किमी से अधिक की दूरी तय करके किसी जल स्नोत तक पहुंचती है। वास्तव में हमारी ग्रामीण महिलाएं अपने समय का एक बड़ा हिस्सा पानी लाने में खर्च करती हैं।

जल जीवन मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर घर तक जलापूर्ति करना है

अपने दूसरे कार्यकाल के पहले स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान लालकिले से जल जीवन मिशन की घोषणा करके, प्रधानमंत्री ने एक बार फिर साबित किया कि यह सरकार माताओं-बहनों के जीवन को सरल बनाने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर घर तक जलापूर्ति करना है। फिलहाल केवल 18 फीसद ग्रामीण परिवारों के पास यह सुविधा उपलब्ध है।

जल शक्ति मंत्रालय- केंद्र से लेकर ग्राम स्तर तक एक साथ काम

इस मिशन का पहला कदम था नए मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा उस परंपरा का तोड़ा जाना जिसके माध्यम से जल क्षेत्र में काम किया जा रहा था। अब इसमें केंद्र से लेकर ग्राम स्तर तक सभी मोर्चों पर एक साथ काम किया जाएगा। दूसरा कदम था योजनाओं में स्थानीय स्थितियों के लिए प्रभावी छूट देने की अनुमति ताकि स्थानीय स्थिति के अनुकूल योजना तैयार की जाए। तीसरा कदम था स्नोत के स्थायित्व को योजना का अनिवार्य हिस्सा बनाना ताकि सुनिश्चित हो सके कि जल की प्रत्येक बूंद का पुन: उपयोग किया जाए।

माताओं और बहनों को देश के विकास के एजेंडे में रखा जाए

महिलाएं अपने समुदायों के जल संसाधनों को प्रबंधित करने में अग्रणी भूमिका निभाती हैं। अगर जल जीवन मिशन से परिवार के लिए पानी लाने के लिए मीलों पैदल चलने की उनकी कड़ी मेहनत को हटा दिया जाए तो इससे महिलाओं का जीवन बहुत आसान हो जाएगा और उन्हें कम मेहनत करनी पडेगी। इसके संकेत प्रत्यक्ष हैं। वास्तविक परिवर्तन के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि घरों की वास्तविक मुखिया यानी हमारी माताओं और बहनों को देश के विकास के एजेंडे में भी केंद्र में रखा जाए।

( लेखिका केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं )